नेपाल को फिर से हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग, मुसलमान भी यहीं चाहते हैं

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) द्वारा भगवन राम की जन्म भूमि भारत की जगह नेपाल में होने के दावा किये जाने को लेकर जहां भारत में भारी नाराजगी दिख रही है, वहीं नेपाल के भीतर भी ओली के दावे को सिरे से खारिज किया जा रहा है. हालांकि इस मुद्दे पर वे अपने ही घर में घिर गए हैं. नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबू राम भट्टाराई ने ओली के बयान को बेतुका बताया है. वहीं, नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री रमेश नाथ पांडे ने ओली पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट किया, धर्म राजनीति और कूटनीति से ऊपर है. यह बहुत ही भावनात्मक विषय है. बेतुकी बयानबाजी से केवल शर्मिंदगी महसूस कराती है. अगर असली अयोध्या बीरगंज के पास है तो फिर सरयू नदी कहां है?

नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली के इस बयान पर भारत में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक नाराजगी है. संत समाज में गुस्सा है. वहीं, बिहार के सीतामाढ़ी में मां सीता के जन्मस्थान के साधु-संत से लेकर आम जन भी बेहद नाराज हैं. इसके साथ ही एक बार फिर नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की जाने लगी है.गौरतलब है कि ओली ने भारतीय आस्था को चुनौती दी है. ओली ने दावा किया है कि भगवान राम (Lord Ram) का जन्मस्थान अयोध्या नेपाल में है.  उन्होंने यह भी दावा किया कि भगवान राम नेपाली थे. ओली ने दावा किया कि अयोध्या (Ayodhya) एक गांव हैं जो बीरगंज के पश्चिम में स्थित है. भारत में बसी अयोध्या असली अयोध्या नहीं है.

गौरतलब है कि नेपाल को दोबारा हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग अक्सर उठती रही है. इसी मांग ने तब और सुर्खियां पाई थी जब नेपाल की ‘हिंदू’ पहचान की दुबारा बहाली के लिए चलाए जा रहे अभियान को  मुसलमानों ने मांग कर दी. वर्ष 2015 में जब नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ रही थी तो कई मुस्लिम संगठनों मिलकर मांग उठाई थी कि इस्लाम को बचाने के लिए यह जरूरी है कि नेपाल फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित हो.तब इस राप्ती मुस्लिम सोसायटी के अध्यक्ष अमजद अली, यूसीपीएन माओवादी के मुस्लिम मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष उदबुद्दीन फ्रू, सीपीएन-यूएमएलसीएल की अनारकली मियां और  राष्ट्रवादी मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष बाबू खान पठान  ने साफ तौर पर कहा कि हिंदू राष्ट्र का दर्जा खत्म होने के बाद से नेपाल में ईसाई मिशनरियां ज्यादा सक्रिय हो गई हैं ऐसे में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र से अधिक हिंदू राष्ट्र में ही मुस्लिम महफूज रहेंगे.

गौरतलब है  कि सालों तक चले माओवादियों के सशस्त्र आंदोलन के बाद अप्रैल 2006 में नेपाल के राजा की शक्तियां सीमित कर दी गई थीं. इसके बाद 2007 में लागू अंतरिम संविधान में धर्मनिरपेक्षता को मूलभूत सिद्धांत के तौर पर स्वीकार किया गया. फिर 2008 में चुनी गई संविधान सभा ने राजशाही को समूल समाप्त कर दिया था यानी साल 2008 तक नेपाल एक हिंदू राष्ट्र हुआ करता था.गौरतलब है  कि वर्ष 2011 की जनगनणा के अनुसार नेपाल की कुल आबादी दो करोड़ 80 लाख के करीब है. इनमें से 80 प्रतिश से अधिक हिंदू हैं. मुसलमानों की आबादी करीब 10 लाख है यानी कुल आबादी का चार प्रतिशत है. 97 प्रतिशत मुस्लिम तराई क्षेत्र में और बाकी राजधानी काठमांडू और उसके आसपास के इलाकों में रहते हैं.

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