कैसे शमशान घाट पर जिंदा हो गया मृत बच्चा, डॉक्टर की भूमिका को लेकर उठे सवाल
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के समस्तीपुर से एक मरे हुए नवजात शिशु के अचानक जिंदा हो जाने की कहानी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है.जिले के उजियारपुर के सुजीत कुमार साह की पत्नी ने दलसिंह सराय के एक निजी अस्पताल में बेटे को जन्म दिया. लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. पूरे परिवार पर गम का पहाड़ टूट गया. लेकिन विधान के अनुसार परिवार के लोग मृत बच्चे को घर लाकर जब दफनाने की तैयारी में जुटे थे, बच्चा रोने लगा. डिब्बा खोलकर देखा तो जो बच्चा मारा हुआ था, वह बच्चा रो रहा था.अचानक मातम का माहौल खुशी में बदल गया. परिवार के लोग खुशी से झूम उठे. परिजनों के अनुसार नवजात चांदचौर पश्चिमी पंचायत के वार्ड 13 में रहते हैं सुजीत कुमार साह. सुजीत कुमार साह की पत्नी रूमा देवी ने बच्चे को जन्म दिया.लेकिन डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था.
सबसे बड़ा सवाल ये चमत्कार है या फिर डॉक्टर की लापरवाही .क्या डॉक्टर ने वगैर जांच के ही बच्चे को मृत घोषित कर दिया? एक मारा हुआ बच्चा जिंदा कैसे हो सकता हा? बच्चे के परिजन का कहना है अस्तपाल से ही दादा रामाशीष साह मृत बच्चे को शमशान घाट लेकर चले गए. लेकिन महिलाओं ने अंतिम संस्कार से पहले कुछ जरूरी क्रिया कर्म के लिए उस नवजात को एक बार घर लाना जरूरी बताया. इसके बाद कुछ लोगों ने डिब्बे में रखे नवजात के शव को घर लाया. इसी बीच बच्चे के रोने की आवाज आई. लोगों को पहले तो भ्रम हुआ. इसके बाद रोने की आवाज लगातार बढ़ती ही जा रही थी. तब घर के लोगों ने डिब्बा खोलकर देखा तो वे सब चौंक पड़े. बच्चा जिंदा था और खूब जोर से रोये जा रहा था. इसके बाद दादा भी घाट से लौट आये. आनन फानन में बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाया गया. इस वाकये से परिवार ही नहीं, पूरे मुहल्ले के लोग खुश हैं.लेकिन डॉक्टर की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहा है. सबसे बड़ा सवाल अगर बच्चा थोड़ी देर नहीं रोता तो उसे जिन्दा दफना दिया गया होता.