सिटी पोस्ट लाइव : तेलंगाना के वारंगल जिले के ग्रामीण इलाके के एक कुएं से 9 मजदूरों के शव मिलने के बाद हड़कंप मच गया है.ये सभी प्रवासी मजदूर बिहार और पश्चिम बंगाल के रहने वाले थे. तेलंगाना के वारंगल जिले के गिसुगोंडा मंडल के गोरे कुंता औद्योगिक क्षेत्र में घटी इस घटना ने पुरे देश में हड़कंप मचा दिया है. कुएं से मिली 9 लोगों की लाश में एक बच्चा और 2 महिलाएं भी शामिल हैं. पुलिस ने चार शव को गुरुवार को और बाकी पांच शव शुक्रवार को निकाले. शवों के ऊपर किसी तरह के चोट के निशान नहीं है.
पुलिस ये पता लगाने में जुटी है कि ये हत्या है या आत्महत्या.हत्या है तो भी और आत्म-हत्या है तो भी मामला बेहद गंभीर है.अगर आत्म-हत्या है इसका मतलब है कि लॉक डाउन से परेशां मजदूर अपनी जान देने लगे हैं. पुलिस जांच में जुटी है. कई लोगों को हिरासत में भी लिया गया है. घटनास्थल का निरीक्षण करने वाले वारंगल के कमिश्नर बी रविंद्र का कहना है कि पश्चिम बंगाल का निवासी मोहम्मद मकसूद 20 साल पहले वारंगल आया था. वह करीमाबाद में परिवार के साथ रहता था. कोरोना संकट की वजह से लगे लॉक डाउन में पिछले कुछ दिनों से वह कुएं के पास स्थित गोदाम में रह रहा था. वहीं पास में बिहार के मजदूर श्री राम और श्याम भी रह रहा था. इसी बीच कंपनी का मालिक संतोष भी वहां आया था तो उसे कोई नजर नहीं आया.।जब उसने खोजबीन शुरू की तो गोदाम के पास कुएं में सब दिखे जिसकी सूचना उसने पुलिस को दी.
पुलिस के शुरुआती जांच में पता चला है की मरने वाले 9 लोगों में से एक ही परिवार के थे. पुलिस के अनुसार पश्चिम बंगाल निवासी मोहम्मद मकसूद आज से 20 साल पहले कमाने के लिए वारंगल चलाया था. मकसूद के ही परिवार के शव मिले हैं.। 9 शवों में से बंगाल निवासी मोहम्मद मकसूद उसकी पत्नी निशा बेटी बुशरा, बुशरा के 3 साल का बच्चा शादाब, पश्चिम बंगाल का ही सोहैल और बिहार निवासी श्याम और श्रीराम तथा वारंगल का ही शकील शामिल है.
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले तमिलनाडु के अनीचल डिस्ट्रिक्ट के बालाजी कंपनी के मालिक ने सात बिहारी मजदूरों को कमरे में बंद कर दिया था.।भूखे और प्यासे मजदूरों में से एक जमुई का रहने वाला मजदूर मुर्मू जहां अपना प्राण गंवा बैठा था वही बाकी 6 मजदूरों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.एकबार फिर से ९ळ्ग़्ण की लाश मिलने से कई तरह की आशंकाएं पैदा हो रही हैं.