शहाबुद्दीन के कब्र को लेकर विवाद, नियम तोड़ किया जा रहा था पक्का, जानिए पूरा मामला

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव : राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन पूरी जिन्दगी विवादों में रहे, और अब मौत के बाद भी विवादों में ही है. दरअसल मामला मोहम्मद शहाबुद्दीन के कब्र का है. जिसे उनके समर्थक नियम तोड़कर पक्का करने में लगे थे. तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास सजा काट रहे शहाबुद्दीन का कोरोना संक्रमण के कारण एक मई को निधन हो गया था. हालांकि, उनके घर वाले उनके शव को सीवान में पैतृक गांव में ही दफनाने के लिए ले जाना चाहते थे. पर इसकी मंजूरी नहीं मिली और उनके शव को दिल्ली गेट स्थित कब्रिस्तान में दफनाया गया. उसी कब्र को पक्का करने का काम किया जा रहा था.

बताया जाता है कि जब इसे पक्का करने की शुरूआत हुई तो कब्रिस्तान की कमेटी ने उसे रूकवाने की भी कोशिश की. पुलिस भी बुला ली गई थी, पर फिर से काम शुरू रहा. इसके बाद कमेटी के सदस्यों ने शहाबुद्दीन के परिजनों से पक्की कब्र बनाने के लिए ली गई परमिशन की मांग की. लेकिन उनके पास कोई परमिशन की कॉपी नहीं थी जिसके बाद कम बंद करवा दिया गया. हालांकि इसे लेकर अब 10 जून को शहाबुद्दीन के परिजन और जदीद कब्रिस्तान के सदस्यों की बैठक होनी है.

कब्रिस्तान कमेटी ने कहा कि नियमों के अनुसार, किसी भी शख्स की कब्र को पक्का नहीं किया जा सकता है. धार्मिक तौर पर पक्की कब्र बनाना सही नहीं है. यहां जमीन की कमी होने की वजह से पक्की कब्र बनाने की मनाही है.  वहीं, मंसूरी वेलफेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष हसनैन अख्तर मंसूरी ने कहा कि 1992 में ही कब्रिस्तान कमेटी ने एक कानून बनाकर कब्र को पक्की करने पर रोक लगा दी थी. ऐसे में आम लोगों के लिए अलग और खास लोगों के लिए अलग नियम नहीं हो सकते.

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