बिहार में सहयोगियों को अपनी ताकत दिखाने में जुटी है कांग्रेस.

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सिटी पोस्ट लाइव : कांग्रेस पार्टी ने मंदार पर्वत से बिहार में भारत जोड़ा यात्रा की शुक्रवार से शुरुवात कर दी है.यह यात्रा 20 जिलों से गुजरेगी जिसमें 1200 किमी की दूरी तय होगी.मंदार पर्वत वही पहाड़ है जिसका इस्तेमाल देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन में किया था. अब इसी मंदार से कांग्रेस ने अमृत-खोज शुरू की है, इस यात्रा की शुरुवात पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया.इस दौरान यात्रा में प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह समेत पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेता शामिल हुए.

सवाल ये उठता है कि क्या कांग्रेस के इस मंथन से उसे राजनीतिक अमृत मिलेगी.देश की राजनीति में कांग्रेस के लिए कौन पार्टी ‘राहु’ है और कौन पार्टी ‘केतु’ है, ये सबको पता है. कांग्रेस यहां वर्ष 2024 के लोक सभा चुनाव और 2025 के विधान सभा चुनाव के लिए अमृत की खोज में है.राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने अपने भाषण में ज्यादा समय उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी को निशाने पर लेने में बिताया. उन्होंने लोगों से पूछा – दो करोड़ लोगों को नौकरी मिली क्या? कहा – यहां पर कोई कल कारखाना नहीं है कि युवकों को काम मिल सके. आज की सरकार नफरत का मार्ग दिखाती है.उन्होंने महंगाई का सवाल उठाते हुए कहा कि वह आसमान छू रही है और लोगों की आर्थिक स्थिति दिनों दिन कमजोर होती जा रही है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा, विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने मंदार में भाषण दिया. ज्यादातर नेताओं ने अपने भाषण में भाजपा पर निशाना साधा.कांग्रेस की पूरी यात्रा और कार्यक्रम की रुपरेखा यही बताती रही कि कांग्रेस अपनी ताकत महागठबंधन के अपने साथियों को दिखाने में लगी है. हालांकि खड़गे ने प्रदेश के कांग्रेसियों सहित महागठबंधन की पार्टी के बीच यह कहकर बड़ा संदेश दिया कि बिहार में गठबंधन रहेगा और मजबूती से रहेगा.

महागठबंधन में ताकतवर पार्टियां आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस और माले हैं. बिहार विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने जिद करके 70 सीटें लीं और उसमें जीत महज 19 पर हासिल कर पाई. उसके बाद से राजद और कांग्रेस के बीच रिश्ते में खटास आ गई.आरजेडी के कई नेताओं ने कहा भी था कि 70 सीटों पर चुनाव लड़ बेहतर परिणाम कांग्रेस देती तो तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनते. उपचुनावों के बाद आरजेडी ने कांग्रेस को तो जैसे अलग-थलग ही कर दिया था. बिना पूछे कांग्रेस की सीट पर भी उम्मीदवार दे दिया. नई सरकार नीतीश और तेजस्वी की बनी तो कांग्रेस से दो मंत्री बनाए गए.

बिहार में कांग्रेस की यह यात्रा मंदार पर्वत से शुरू हुई. यह अंग का क्षेत्र है. अंग की भाषा अंगिका को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर कई बार आंदोलन हो चुका है. फणीश्वर नाथ रेणु, लखन लाल पाठक, गजाधर अम्बष्ठ, लक्ष्मीनारायण सुधांशु, परमानंद पांडेय, नरेश पांडेय चकोर, डॉ. तेजनारायण कुशवाहा, सतीश चंद्र सिंहा, डॉ. रामजी सिंह, सुमन सुरो, कमला प्रसाद बेखबर, मधुकर गंगाधर, डॉ. अमरेन्द्र, रंजन जैसे कई लेखकों ने किसी ने किसी तरह के अंगिका आंदोलन को आगे बढ़ाया.

विधान सभा में भी इसकी मांग उठी, लेकिन न तो राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने अंगिका की चर्चा की, न प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने. अजीत शर्मा कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं और भागलपुर के विधायक हैं.लेकिन अजीत शर्मा को भाषण देने के लिए नहीं बल्कि धन्यवाद ज्ञापन के लिए कहा गया.इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मुसलमानों का उमड़ना बताता है कि मुसलमानों का झुकाव फिर से कांग्रेस की तरफ हो रहा है. यह महागठबंधन की पार्टी राजद के लिए बड़ा संकेत है. सवाल यह है कि क्या मुसलमानों को यह लगने लगा है कि मोदीराज से मुक्ति लालू-तेजस्वी, नीतीश कुमार के साथ मिलकर नहीं कर पाएंगे बल्कि यह कांग्रेस ही कर सकती है. यह भी संभव है कि मुसलमान अब समझने लगे हैं कि उनके लालू प्रसाद या जदयू के साथ रहने से कांग्रेस कमजोर हुई है और भाजपा मजबूत.

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