सिटी पोस्ट लाइव : आगामी लोक सभा और विधान सभा चुनाव की तैयारी में कांग्रेस पार्टी अभी से जुट गई है. राहुल गांधी बिहार में पार्टी को मजबूत करने के लिए बिहार के लोकप्रिय युवाओं को पार्टी से जोड़ने की विशेष रणनीति पर काम कर रहे हैं. इसी रणनीति के तहत उन्होंने कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल कराया. गौरतलब है कि बिहार कांग्रेस को नए अध्यक्ष की तलाश है, लेकिन कांग्रेस इस पद के लिए कन्हैया कुमार को उपयुक्त नेता नहीं मान रही. अध्यक्ष पद की रेस में कन्हैया कुमार कहीं नजर नहीं आ रहे हैं.
गौरतलब है कि पिछले लोक सभा और विधान सभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा को राहुल गांधी बदलना चाहते हैं. पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों को देखते हुए फिलहाल उन्हें पद पर बने रहने को कहा गया है. लेकिन साथ ही कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व एक ऐसे प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में है जो बिहार में पार्टी को मजबूती प्रदान कर सके. कांग्रेस ने पूर्व वामपंथी नेता और प्रखर वक्ता के रूप में अपनी धाक जमाने वाले कन्हैया को जोरशोर और पूरे प्रचार के साथ पार्टी में शामिल कराया था. उस वक्त ऐसा लग रहा था जैसे कन्हैया कुमार के रूप में कांग्रेस को बिहार ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा नेता मिल गया है, जिनमें BJP को परेशान करने की क्षमता है. बिहार में पिछले साल विधानसभा की 2 सीटों पर हुए उपचुनाव को छोड़ दें तो कन्हैया कुमार की सक्रियता कुछ खास नहीं रही है.
कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्हैया कुमार जब दिल्ली से पटना पहुंचे थे तो बिहार के कांग्रेसियों ने उनका ज़ोरदार तरीक़े से स्वागत किया था. कांग्रेसियों को ऐसा लगा मानो बिहार में कांग्रेस को बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए कन्हैया कुमार के तौर पर एक बड़ा नेता मिल गया है. थोड़ा ही वक्त बीतने के बाद अब बिहार के कांग्रेसियों को भी कन्हैया से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं दिखती है. बिहार कांग्रेस में कन्हैया कुमार की कोई चर्चा भी नहीं होती है. यह स्थिति तब है जब बिहार कांग्रेस एक ऐसे प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में जुटी है जो पार्टी को बिहार में अपने पैरों पर खड़ा सके.
कांग्रेस ने अगड़ी जाति से आने वाले मदन मोहन झा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया, लेकिन वह भी बिहार में पार्टी की स्थिति को सुधार न सके. कांग्रेस आलाकमान को यह भी डर है कि भाजपा ने कन्हैया को लेकर एक ख़ास छवि बना रखी है, ऐसे में जैसे ही इस युवा नेता को बिहार कांग्रेस की बागडोर दी जाएगी, BJP को कांग्रेस को घेरने का एक और मौका मिल जाएगा.कन्हैया को लेकर कांग्रेस आलाकमान को एक और बात का भी डर है. पार्टी के शीर्ष नेताओं को लगता है कि बिहार में फिलहाल पिछड़ों की राजनीति चल रही है. ऐसे में सवर्ण जाति से आने वाले कन्हैया पर दांव लगाना पार्टी को कहीं भारी न पड़ जाए.
कन्हैया कुमार के लिए बिहार की राजनीति में कांग्रेस के जरिये पैठ बनाना आसान नहीं है. बिहार कांग्रेस में उनके स्वजातीय कई ऐसे नेता हैं, जिनकी पार्टी में अपनी अलग हैसियत है. ऐसे में कन्हैया को उनसे भी पार पाना होगा जो उनके लिए आसान नहीं है. दूसरी मुश्किल ये है कि कन्हैया कुमार को RJD के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी पसंद नहीं करते हैं. यह बात सर्वविदित है कि बिहार में कांग्रेस अपने पुराने सहयोगी राजद को नाराज करने की स्थिति में नहीं है. धमाके से राहुल गांधी की रज़ामंदी के बाद कन्हैया कांग्रेस में शामिल तो हो गए, लेकिन बिहार कांग्रेस में उनकी दाल नहीं गल पा रही है.