सिटी पोस्ट लाइव : सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर ‘जनता दरबार’ शुरू करेंगे। इसके माध्यम से वह जनता से विकास कार्यों की फीडबैक लेंगे। एक वक्त था जब जनता दरबार का जबरदस्त क्रेज था। लोग दूर-दूर से ‘मुख्यमंत्री के जनता दरबार’ में शिकायत करने पहुंचते थे।
नीतीश कुमार ने 2005 में जनता दरबार की शुरुआत की थी, जो कि खूब चर्चा में रहा था। यही महीने के हर सोमवार को पटना में आयोजित किया जाता था और इसमें बिहार के सभी जिलों के लोग पहुंचते थे। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री के साथ मंत्री और सचिव दोनों रहते थे। इस जनता दरबार के सहारे नीतीश कुमार को पूरे राज्य के विकास के बारे में जानकारी मिलती रहती थी, लेकिन इसे 2016 में बंद कर दिया गया।
जनता दरबार शुरू करने की खबर ने लोगों में दिलचस्पी पैदा कर दी है। वहीं, नीतीश कुमार भी अपनी इस कवायद से राज्य के सभी जिलों के लोगों से संवाद कर सकेंगे। वैसे भी जेडीयू को इस बार 43 सीटों पर जीत मिली है, जो कि उसका खराब प्रदर्शन है। जबकि बीजेपी ने 74 पर बाजी मारी है। वहीं, एनडीए के अन्य साथी हम और वीआईपी ने चार-चार सीट जीतने में कामयाबी हासिल की है।
नीतीश कुमार राज्य के सीएम पद पर सर्वाधिक लंबे समय तक रहने वाले श्रीकृष्ण सिंह के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ने की ओर बढ़ रहे हैं जिन्होंने आजादी से पहले से लेकर 1961 में अपने निधन तक इस पद पर अपनी सेवाएं दी थीं। कुमार ने सबसे पहले 2000 में प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन बहुमत नहीं जुटा पाने के कारण उनकी सरकार सप्ताह भर चली और उन्हें केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री के रूप में वापसी करनी पड़ी थी।
पांच साल बाद वह जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की शानदार जीत के साथ सत्ता में लौटे और 2010 में गठबंधन के भारी जीत दर्ज करने के बाद मुख्यमंत्री का सेहरा एक बार फिर से नीतीश कुमार के सिर पर बांधा गया। इसके बाद मई 2014 में लोकसभा चुनाव में जेडीयू की पराजय की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने सीएम पद से त्यागपत्र दे दिया, लेकिन जीतन राम मांझी के बगावती तेवरों के कारण उन्हें फरवरी 2015 में फिर से कमान संभालनी पड़ी थी।
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