सिटी पोस्ट लाइव : लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की आज पहली बरसी है. इस मौके पर पटना में उनके परिवार द्वारा एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जा रहा है. इस आयोजन में देश के अलग-अलग दलों के विभिन्न राजनेताओं को आमंत्रित किया गया है. रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने जिन लोगों ने को पहली बरसी में आने के लिए निमंत्रण दिया था उनमें पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल थे. हालांकि पीएम मोदी पटना में होने वाले इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं, लेकिन उन्होंने पहली बरसी पर रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि देते हुए एक पत्र लिखा है.
इस पत्र को पढ़कर चिराग पासवान भी भावुक हो गए और उसे अपने ट्वीटर पर शेयर किया है. यही नहीं उन्होंने कहा कि यह पत्र मेरे और मेरे परिवार को इस दुःख की घड़ी में शक्ति प्रदान करता है। आप का स्नेह व आशीर्वाद हमेशा बना रहे। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि पिता जी के बरखी के दिन आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी का संदेश प्राप्त हुआ है। सर आपने पिता जी के पूरे जीवन के सारांश को अपने शब्दों में पिरो कर उनके द्वारा समाज के लिए किए गए कार्यों का सम्मान किया है व उनके प्रति अपने स्नेह को प्रदर्शित किया है।
पिता जी के बरखी के दिन आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी का संदेश प्राप्त हुआ है। सर आपने पिता जी के पूरे जीवन के सारांश को अपने शब्दों में पिरो कर उनके द्वारा समाज के लिए किए गए कार्यों का सम्मान किया है व उनके प्रति अपने स्नेह को प्रदर्शित किया है। pic.twitter.com/0SCeD6P1m4
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) September 12, 2021
इस पत्र में पीएम मोदी ने लिखा कि रामविलास पासवान को देश का महान सपूत, बिहार का गौरव और सामाजिक न्याय की बुलंद आवाज बताया है. पीएम ने लिखा है कि देश के महान सपूत, बिहार के गौरव और सामाजिक न्याय की बुलंद आवाज़ रहे स्वर्गीय श्री राम विलास पासवान जी को मैं अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता यह मेरे लिए बहुत भावुक दिन है। मैं आज उन्हें न केवल अपने आत्मीय मित्र के रूप में याद कर रहा हूँ, बल्कि भारतीय राजनीति में उनके जाने से जो शून्य उत्पन्न हुआ है, उसे भी अनुभव कर रहा हूँ।
स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास में पासवान जी का हमेशा अपना एक अलग स्थान रहेगा। वे एक बहुत ही सामान्य पृष्ठभूमि से उठकर शीर्ष तक पहुँचे, लेकिन हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे। मेरी जब भी उनसे मुलाकात होती थी, वह अपने जमीनी ॥ अनुभवों के आधार पर हमेशा गाँव-गरीब, दलित-वंचित के हितों की चिंता प्रकट करते थे। साठ के दशक में पासवान जी ने जब चुनावी राजनीति में कदम रखा था, उस समय देश का परिदृश्य बिल्कुल अलग था। तब देश की राजनीति मुख्य रूप से केवल एक राजनैतिक विचारधारा के अधीन थी, लेकिन पासवान जी ने अपने लिए एक अलग और कठिन रास्ता चुना।
वर्ष 1977 में जब उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता, तो उनकी जीत ने पूरे देश को अचंभित कर दिया था। उन्होंने डॉ. राममनोहर लोहिया की शिक्षाओं से सीखा और समतामूलक समाज को अपनी राजनीति का आदर्श बनाया। यह आदर्श और राजनीतिक सिद्धान्त अंतिम समय तक उनसे उतनी ही मजबूती से जुड़े रहे। अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में पासवान जी ने जो भी जिम्मेदारी संभाली, उस क्षेत्र को उन्होंने एक सकारात्मक दिशा देने का काम किया। एक समय उन्होंने देश के रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए दिन-रात काम किया, तो देश की टेलीकॉम कनेक्टिविटी को भी सुधारने में उनके योगदान को हम सब याद करते हैं। इसी तरह, अगर उन्होंने श्रमिकों और कामगारों के हितों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, तो स्टील, माइनिंग और फर्टिलाइजर जैसे अहम क्षेत्रों में जरूरी सुधारों को गति देने में भी उनका सक्रिय योगदान रहा।
एनडीए सरकार के 6 वर्षों में भी उन्होंने इसी ऊर्जा के साथ स्वयं को जनहित से जुड़े निर्णयों के लिए समर्पित रखा। उनके प्रयासों से देश को उपभोक्ता अधिकार और पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम से जुड़े अनेक प्रभावी कदम उठाने में दिशा मिली। आज जो युवा राजनीति को जानना और समझना चाहते हैं, या फिर राजनीति के माध्यम से देश की सेवा करना चाहते हैं, पासवान जी का जीवन उन्हें काफी कुछ सिखा सकता है। सत्ता के शीर्ष पर पहुँचकर भी वह हमेशा अपने कार्यकर्ताओं के लिए सुलभ रहते थे और उनके सुख-दुःख में भागीदार रहते थे। उन्होंने हमेशा संवाद और सौहार्द में भरोसा किया। यही वजह है कि हर राजनीतिक दल के नेताओं के साथ उनके मधुर रहे। संबंध हमेशा चेहरे पर मुस्कान लिए मिलने वाले राम विलास जी, सभी के थे, जन-जन के थे। मैं राम विलास जी के परिवार के सभी सदस्यों के लिए, उनके सभी समर्थकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करता हूँ।