M.Phill/PHD की डिग्री के लिए अब साक्षात्कार से ज्यादा लिखित परीक्षा पर जोर
सिटी पोस्ट लाइव : भारत सरकार का मानव संसाधन विकास मंत्रालय 2016 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों में बदलाव करने जा रहा है. अब इन डिग्रियों को हासिल करने के लिए छात्रों को इंटरव्यू के बजाए लिखित परीक्षा की तैयारी में ज्यादा पसीना बहाना पड़ेगा. केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एमफिल और पीएचडी पाठ्यक्रमों में प्रवेश अब साक्षात्कार में बेहतर प्रदर्शन पर अधारित नहीं होंगे. M.Phill /PHD डिग्री के लिए पाने की ख्वाहिस रखनेवालों को अब प्रवेश परीक्षा में स्कोर का 70 प्रतिशत वेटेज और साक्षात्कार का केवल 30 प्रतिशत वेटेज ही आधार माना जायेगा.
गौरतलब है कि फिलहाल वर्तमान में लिखित परीक्षा महज साक्षात्कार के लिए क्वालिफाई करने के लिए एक माध्यम है जिसके बाद एमफिल और पीएचडी पाठ्यक्रमों के लिए छात्रों का चयन उनके साक्षात्कार के 100 प्रतिशत स्कोर पर ही किया जाता है.लेकिन अब मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर इस संशोधन को अपनी मंजूरी दे दी है और इस सप्ताह में हीं इसके लागू होने की संभावना भी है.
मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार “अब लिखित परीक्षा का 70 प्रतिशत का वेटेज और साक्षात्कार/ वाईवा में प्रदर्शन का 30 प्रतिशत वेटेज के तौर पर लिया जायेगा . दिल्ली 2017 में दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय समेत सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 2016 यूजीसी विनियमन के लागू होने के बाद से एमफिल और पीएचडी साक्षात्कार के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए प्रवेश परीक्षा में कम से कम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य था. जिसे लेकर कई छात्रों ने अपना विरोध जताया था और इसे भेदभावपूर्ण बताया था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों से आनेवाले कई छात्रों ने आरोप लगाया था कि परीक्षा में अच्छे स्कोर के बावजूद उन्हें साक्षात्कार के चरण में रिजेक्ट कर दिया गया क्योंकि उनका कम्यूनिकेशन स्किल कमजोर था.
गौरतलब है कि 24 मई को एक बैठक में, यूजीसी ने परीक्षा में छात्रों द्वारा स्कोर के उपयोग में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / ओबीसी (नॉन क्रिमीलेयर) के लिए पात्रता मानदंडों में 5 प्रतिशत की छूट दिया है. हालांकि, पहले संशोधन की घोषणा की अधिसूचना में 70-30 प्रतिशत मानदंडों का उल्लेख नहीं किया गया था.
Comments are closed.