शराबबंदी कानून में और क्या हो रहा है संशोधन, विस्तार से जानिये

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सिटी पोस्ट लाइव डेस्क : शराबबंदी कानून को बनाया जाएगा थोडा व्यवहारिक और लचीला, इस कानून के तहत जेल गए लोग तीन साल की सजा के बाद ही आयेगें बाहर, अब घर और गाडी नहीं होगी जप्त, शराब मिलने पर नहीं लगेगा सामूहिक जुर्माना, शराब में हानिकारक पदार्थ मिलाने और इससे मृत्यु होने पर सख्त कानून के प्रस्ताव की मंजूरी दी गई है.ऐसे अपराध पर उम्रकैद या फिर फांसी तक की सजा हो सकती है.सूत्रों के हवाले से ऐसे संशोधनों को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है.लेकिन अभीतक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.

बुधवार 11 जुलाई को हुई अहम बैठक में शराबबंदी कानून में  बहुप्रतीक्षित संशोधन के प्रस्ताव पर बिहार कैबिनेट की मुहर लग गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में शराबबंदी कानून में मौजूद कई अन्य सख्त प्रावधानों को भी ख़त्म करने पर सहमति बनी है. अब इस प्रस्ताव को संशोधन विधेयक के तौर पर बिहार विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा. विधानसभा से पास होने के बाद इसे कानून में संशोधन की प्रक्रिया पूरी होगी.वैसे क्या संशोधन हुए हैं ,ये खबर सूत्रों के हवाले से ही मिली है.बिहार कैबिनेट की बैठक के बाद क्या क्या फैसले हुए हैं, अभी कैबिनेट सचिव अरुण कुमार सिंह ने अभीतक आधिकारिक तौर पर इन  संशोधनों के बारे में कोई खुलासा नहीं नहीं किया है. लेकिन कैबिनेट सूत्रों के हवाले से जो जानकारियां मिल रही हैं, इसके अनुसार आने वाले कुछ दिनों में बिहार के लोगों को शराबबंदी के सख्त प्रावधानों से बड़ी राहत तो जरूर मिल जाएगी.

गौरतलब है कि इससे पहले एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि राज्य के शराबबंदी क़ानून में जल्द संशोधन किया जाएगा. नीतीश ने कहा कि शराबबंदी कानून में संशोधन पर मंथन चल रहा है .उन्होंने साफ़ कर दिया था अगर कोई कानून के प्रावधान का दुरुपयोग कर रहा है तो उसके ऊपर बदलाव पर विचार किया जाएगा. गौरतलब है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी 5 अप्रैल, 2016 को हुई थी. सबसे पहले  एक अप्रैल को विदेशी शराब पर पाबंदी लगी थी. इसके बाद 5 अप्रैल से देसी शराब पर भी पाबन्दी लगा दिया गया था. दो साल तीन माह में शराबबंदी को कामयाब बनाने में 62 हजार से अधिक केस दर्ज हुए और 92 हजार से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई. पुलिस ने 8 लाख लीटर से अधिक शराब नष्ट किया है.ये भी आरोप लगा कि इस कानून के तहत सबसे जय पिछड़े और अति-पिछड़े और दलित जेल भेजे गए.

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