बंगला नंबर-7 फिर से दे रहा बिहार की सियासत में नए समीकरण का संकेत.

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सिटी पोस्ट लाइव :7 सर्कुलर रोड वाला बंगला नंबर -7जब जब सजता संवरता है, राज्य में बड़ा राजनीतिक उथल पुथल होता है. मुख्यमंत्री के इस दुसरे आवास को इन दिनों सजाया जा रहा है तो राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया है. 2015 में इसी बंगले में रहते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने NDA से नाता तोड़ लालू प्रसाद यादव से हाथ मिला लिया था. जदयू, राजद व कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनाई थी. अब जब एक बार फिर से इस बंगले की सजावट पर काम शुरू हुआ है तो फिर से बिहार की सियासत में नए समीकरण को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं.

गौरतलब है कि 1 अणे मार्ग, 1 सर्कुलर रोड जैसे सरकारी बंगलों की इर्द-गिर्द बिहार की सियासत घूमती रही है.इन्हीं बंगलों के बीच एक बंगला है 7 सर्कुलर रोड का 7 नंबर बंगला. इन दिनों ये बंगला खाली है और इसे सजाया-संवारा जा रहा है. भवन निर्माण विभाग की तरफ से इस बंगले को सजाने के लिए 51 लाख 17 हजार का आवंटन किया गया है. इस पैसे से ना सिर्फ बंगले का रंग-रोगन हो रहा है बल्कि पर्दे लगाने से लेकर इंटीरियर का काम भी हो रहा है. खाली होने के बाद भी बंगले की खूब निगरानी की जा रही है. सख्ती इतनी की काम करवा रहे एजेंसी के कर्मचारियों के अलावा अंदर किसी को जाने की इजाजत नहीं है.

चर्चा है कि 7 सर्कुलर रोड फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए तैयार हो रहा है.गौरतलब है कि अभी बिहार में NDA में घमाशान जारी है.BJP और JDU के नेता लड़ने के नए नए बहाने खोज रहे हैं.सहयोगी दल VIP पार्टी और हम पार्टी के नेता लगातार आँखें दिखा रहे हैं, ऐसे में इस बंगले को तैयार किये जाने से राजनीतिक हलचल बढ़ गई है.गौरतलब है कि जदयू फिर से विशेष राज्य के मुद्दे पर भाजपा की केन्द्र सरकार पर हमलावर है. यूपी चुनाव को लेकर मनमुटाव काफी बढ़ गया है. जदयू, सम्राट अशोक पर विवादित बोलने वाले लेखक दया शंकर सिन्हा से सम्मान वापसी की मुहिम चला रही है. भाजपा, शराबबंदी पर अपनी ही सरकार की पोल खोल रही है. दूसरी ओर राजद नीतीश कुमार को जातीय जनगणना के मुद्दे पर साथ बुला रही है. कुल मिलाकर बिहार की राजनीति में बयानबाजी 2015 वाले दौर में पहुंच गई हैं.

नीतीश कुमार पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर साल 2015 में इसी आवास में रहे थे. तब जीतन राम मांझी बिहार के सीएम थे. इस दौरान लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस से उनकी बातचीत शुरू हुई. इसके बाद फिर से 22 फरवरी 2015 को वो मांझी को हटाकर बिहार के मुख्यमंत्री बन गए और उन्होंने NDA से नाता तोड़ लिया. तब राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई. उन्होंने महागठबंधन के बैनर तले चुनाव भी लड़ा. इस आवास को 2015 में भी नीतीश कुमार के पसंद के अनुसार तैयार करवाया गया था.

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