सिटी पोस्ट लाइव :अगर आपके सामने ऐसी परिस्थिति आ जाए कि आपको करीब एक महीने तक घर में अकेले रहना पड़े. और इस दौरान आपको किसी से मिलने और बात करने का मौका ना मिले, तो आप कैसा महसूस करेंगे . ज़ाहिर है आप इस दौरान बहुत परेशान हो जाएंगे . आपके लिए एक-एक पल काटना बहुत मुश्किल हो जाएगा . हो सकता है आप में से ज़्यादातर लोग ऐसे दिन के बारे में सोचने से ही तनाव महसूस करने लगें .
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां के 90 लाख लोग हर रोज़ इस परिस्थिति का सामना करते हैं . यानी ये वो लोग हैं जो अकेलेपन को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना चुके हैं . इस देश के लोग, अपनों से बातचीत ना करने की वजह से डिप्रेशन के मरीज़ बन रहे हैं. इस देश का नाम है ब्रिटेन…जिसे किसी ज़माने में अपनी राजशाही औऱ ताक़त की वजह से ‘द ग्रेट ब्रिटेन’ कहा जाता था . लेकिन वो वक़्त अब गुज़र चुका है आज के दौर में ये देश अकेलेपन और डिप्रेशन से पीड़ित है.
पिछले साल ब्रिटेन में एक सर्वे किया गया था जिसमें ये पाया गया कि वहां के 90 लाख लोग अकेलेपन के शिकार हैं . इसी सर्वे में ब्रिटेन के 2 लाख बुजुर्गों ने कहा था, कि उन्होंने कम से कम एक महीने से किसी से बात ही नहीं की है . ब्रिटेन में 17 प्रतिशत बुज़ुर्ग ऐसे हैं जो पूरे हफ़्ते में सिर्फ एक बार अपने परिवार के सदस्यों या किसी दोस्त से बात कर पाते हैं . 11 प्रतिशत लोग पूरे महीने किसी भी व्यक्ति से बात नहीं करते.इन लोगों का कहना है कि परिवार के दूसरे सदस्य अपने काम में इतने व्यस्त है कि उन्हें ना तो किसी से बात करने की इच्छा है और ना ही उनके पास वक़्त है. ब्रिटेन में 75 वर्ष से ऊपर की आयु के करीब 51 प्रतिशत लोग अकेले रहते हैं . करीब 4 लाख लोग ये मानते हैं कि अकेलेपन में उनका साथी टेलीविज़न है . एक रिसर्च के मुताबिक अकेलेपन से होने वाला नुकसान दिनभर में 15 सिगरेट पीने से होने वाले नुकसान के बराबर है. अकेलेपन और इससे होने वाले तनाव की वजह से सेहत पर बुरा असर पड़ता है . अकेलापन अगर लंबे समय तक बना रहे… तो एक गंभीर बीमारी में बदल जाता है, जिससे मौत की आशंका 26 प्रतिशत तक बढ़ जाती है . नौकरी करने वाले लोग अकेलेपन की समस्या की वजह से अपना काम ठीक से नहीं कर पाते.जिसकी वजह से ब्रिटेन को प्रति वर्ष 24 हज़ार करोड़ रूपये से ज़्यादा का नुकसान होता है.
और सबसे बड़ी बात ये है, कि अकेलेपन की वजह से ब्रिटेन में हर साल 6 हज़ार लोग आत्महत्या करते हैं . वैसे ये सिर्फ ब्रिटेन की समस्या नहीं है, हमारा देश भारत भी, इस समस्या का शिकार है.National Sample Survey Office ने वर्ष 2004 में आंकड़ा जारी किया था. जिसमें कहा गया था, कि भारत में लगभग 50 लाख लोग अकेलेपन के शिकार हैं. यहां हम अकेलेपन की बात कर रहे हैं, डिप्रेशन की नहीं. ध्यान देने वाली बात ये है, कि अकेला रहने की वजह से भी लोग डिप्रेशन के शिकार होते हैं. ये आंकड़ा 14 वर्ष पुराना है. और अब भारत में अकेले रहने वाले लोगों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा हो चुकी है.