गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन अद्भुत गुणों के धनी

City Post Live - Desk

गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन अद्भुत गुणों के धनी

सिटी पोस्ट लाइव : एक शिक्षक के लिए वो पल खुशी से भावुक कर देने वाला होता है, जब उसका पढ़ाया शिष्य देश-दुनिया में उसका नाम रोशन करता है। एक शिक्षक और छात्र के बीच यह दिन गुरु-शिष्य पंरपरा की मिसाल के लिये जाना जाता है। जीवन में एक शिक्षक का क्या महत्व है यह किसी से छुपा नहीं है। गुरु को संसार में माता के बाद प्रथम स्थान दिया गया है। भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को देश के प्रथम उप-राष्ट्रपति और देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर मनाया जाता है।

 डा. राधाकृष्ण का जन्म तमिलनाडु के तिरुतनी गांव में 5 सितंबर 1888 को हुआ था। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिंदू विचारक भी थे। राधाकृष्ण के असाधारण गुणों के कारण ही उन्हें 1954 में भारत सरकार की तरफ से देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया। लेकिन क्या आप डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवन यात्रा से परिचित है, यदि नहीं तो घबराइए मत। आज डॉ राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर हम आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों से रूबरू करवाते है।

– डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

– उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वी. रामास्वामी माताश्री का श्रीमती सीता झा था।

– डॉक्टर राधाकृष्णन के चार भाई एक बहन थी।

– डॉ सर्वपल्ली को बचपन से ही किताबें पढ़ने का बहोत शौकीन था। वे स्वामी विवेकानंद वीर सावरकर को अपना आदर्श मानते थे।

– उन्होंने 40 वर्षों तक शिक्षक के रूप में कार्य किया है।

– डॉक्टर राधाकृष्णन को 1954 में देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

– डॉक्टर राधाकृष्णन को भारत रत्न के अलावा ऑर्डर ऑफ मेरिट, नाइट बैचलर टेम्पलटन समेत कई सम्मानों से भी नवाजा गया है।

-डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्‍णन 1952 से 1962 के बीच देश के उपराष्ट्रपति रह चुके थे। उन्होंने 1962 में डॉ राष्ट्रपति पद संभाला। 1967 तक वह देश के राष्ट्रपति रहे।

-उनका निधन चेन्नई में 17 अप्रैल 1975 को हो हुआ था।

– वे अधिकतर सिर पर सफेद पगड़ी सफेद रंग की धोती कुर्ता पहनते थे।

– वे हमेशा लोगों को शिक्षा शिक्षक की महत्वता बताते रहते थे। उनका मानना था कि शिक्षक समाज का निर्माता होता है समाज के निर्माण में उसकी अहम भूमिका होती है।

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