सिटी पोस्ट लाइव :नीतीश कुमार के RJD के साथ चले जाने के बाद बिहार में अलग थलग पड़ी बीजेपी आगामी लोक सभा चुनाव के लिए नए राजनीतिक समीकरण बनाने में जुट गई है.बीजेपी राज्य में एक नए समीकरण के साथ मजबूत गठबंधन बनाने जा रही है.आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बिहार काफी महत्वपूर्ण हो गया है.अमित शाह के लगातार बिहार का दौरा के पीछे चुनावी मकसद साफ दिखता है. बीजेपी के रणनीतिकारों की बिहार की राजनीति पर इन दिनों काफी नजर है.
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि बीजेपी एक साथ उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह और मुकेश सहनी को साधने की दिशा पर काम कर रही है. ये तीनों कहीं न कहीं नीतीश कुमार से, वह भी अपनी महत्वाकांक्षा के कारण नाराज हैं.बीजेपी के चिंतक इन तीनों से मुलाकात के जरिए गंठबंधन का स्वरूप तैयार कर रहे हैं. एनडीए में शामिल होने के लिए एक फार्मूला यह तैयार करने की बात चल रही है .पहले आर सी पी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा पार्टी फॉर्म करें. मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी पहले से है.ये तीनों पार्टी एनडीए का हिस्सा बन जाए और सीट शेयरिंग पर बात कर लें. या तीनों मिलकर एक पार्टी का गठन करें और एनडीए में शामिल होकर सीट शेयरिंग करें. इस मिशन से भाजपा कुर्मी, कुशवाहा और मल्लाह वोट को एनडीए से जोड़कर नीतीश कुमार को उनकी ही जमीन पर परास्त करने की तैयारी हो रही है.
पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह पर भी बीजेपी नजर है.RJD और JDU के भीतर सुधाकर सिंह ही नहीं, विरोध करने वालों को महागठबंधन के नेता लगातार यह कह रहे हैं कि ये नेता बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं. सुधीर सिंह पहले भी भाजपा से चुनाव लड़ चुके हैं.तेजस्वी यादव उन्हें बीजेपी का एजेंट भी बता चुके हैं.जिस तरह की राजनीति बिहार में चल रही है बीजेपी के लिए नया समीकरण बनाना आसान है.अपने फायदे के लिए नेता किसी के साथ जा सकता है.आज की राजनीति में न तो कोई स्थाई दोस्त है न स्थाई दुश्मन.
उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी अब तक कई बार अपनी आस्था बदल चुके हैं. नीतीश कुमार से अलग हो कर एनसीपी में गए और फिर बाद में रालोसपा भी बनाई. मन मुताबिक सीट नहीं मिली तो मुकेश सहनी ने एक घंटा में ही पल्ला छुड़ा लिया और बीजेपी के साथ चले गये.बीजेपी उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी को साथ लाकर एक मजबूत गठबंधन बनाने की तैयारी में है.चिराग पासवान पहले से ही बीजेपी के साथ हैं. आरसीपी सिंह अभी नीतीश कुमार के विरुद्ध राजनीति कर रहे हैं तो वैसे ही बीजेपी के करीब हैं. लेकिन आगे चलकर क्या होगा कह पाना मुश्किल है.अगर खुद नीतीश कुमार ही बीजेपी के साथ चले गये ये नया समीकरण बेकार हो जाएगा.