नीरज कुमार ने कहा- लालूवाद विचारधारा के कारण बिहार की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था ICU में थी

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव : लालू-राबड़ी शासन के स्वास्थ्य बजट से अधिक आज मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता योजना के अनुदान मद में खर्च हो रहा है। एकीकृत बिहार का स्वास्थ्य बजट औसत 64 करोड़ रुपये था, जबकि अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के  68 करोड़ 3 लाख रुपये मात्र मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष राज्‍य के गरीब एवं गंभीर बीमारी के ईलाज के लिए 8200 रोगियों को चिकित्‍सा अनुदान के रुप में दिया गया। अंतर साफ है क्‍या सामाजिक न्‍याय का नारा लगाने वाली पार्टी राजद यह बताएगी कि उसने समाज के गरीब तबके के ईलाज के लिए सरकार की ओर से कौन सी सहायता दी थी और कितने लोग लाभान्वित हुए थे ?

माननीय मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार जी के कार्य नीति पल्‍स पोलियो टीकारण अभियान के बदौलत पोलियो मुक्‍त बिहार बना, जिसकी प्रशंसा बिलगेट्स जैसे दुनिया के अमीर व्‍यक्ति ने किया साथ ही स्‍वास्‍थ्‍य सेवा में सहयोग का हाथ बढ़ाया। बिलगेट्स ने कहा ”गरीबी और बीमारी के खिलाफ बिहार की प्रगति शानदार रही” एवं  ”बहुत कम राज्‍य है जिन्‍होंने गरीबी और बीमारी के खिलाफ अधिक प्रगति की है।

अंतर साफ है राजद शासनकाल में आतंकराज के कारण चिकित्सक तत्‍कालीन महामहीम के यहॉं आला छोड़ हथियार की मांग कर रहे थे और दिल्‍ली जा कर जान बचाने की गुहार कर रहे थे, दूसरी ओर बिलगेट्स जैसे लोग नीतीश जी के शासनकाल में बिहार आकर सहयोग का हाथ बढ़ाया। 2004-05 में बिहार में प्रति माह मात्र 39 मरीज सरकारी अस्‍पताल ईलाज के लिए जाते थे, जो आज बढ़कर 10,496 है। सरकारी अस्‍पताल में ईलाज कराने के लिए बढ़ने वाले रागियों की संख्‍या यह दर्शाता है कि राज्‍य सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में किये जा रहे सुधार के कारण आम लोगों का भरोसा बढ़ा है।

स्‍वास्‍थ्‍य सेवा में महिलाओं की भागीदारी पर घ्‍यान केन्द्रित करते हुए मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश की महिलाओं को आगे बढ़ाया। जबकि वर्ष  2005  तक  प्रदेश  में  मात्र  479  महिला  स्वास्थ्य  सहायक  थी  जो  2019 में बढ़कर 20 हजार 570 हो गई।  स्वास्थ्य  सुविधाओं  में  सामाजिक बदलाव  का  इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता है। राजद शासनकाल में मेडिकल और नर्सिंग कालेज से कोई मतलब नहीं था। नीतीश कुमार जी के शासनकाल में कई मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज खुल गए। सरकारी के साथ निजी मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी बढ़ी।

नर्सिंग की पढ़ाई के लिए दक्षिणी राज्यों पर बिहार की निर्भरता समाप्त हो गई।

 लालू-राबड़़ी के 15 वर्षों के शासन में मातृ-शिशु मृत्यु दर की चिंता सरकार को नहीं थी। नियमित टीकाकरण का औसत 18 फीसद था, जो अब 86 पर आ गया है। उस शासन की तुलना में मातृ-शिशु मृत्यु दर आधी से भी कम हो गई है। पीएमसीएच (Patna Medical College and Hospital) को 5,540 करोड़  की लागत से 5,462 बेड की  सुविधा के साथ दुनिया का सबसे बड़ा हॉस्पिटल का रूप दिया जा रहा है।

जिसका कार्यारम्‍भ हो गया है। वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा अस्पताल बेलग्रेड में 3500 बेड का है, पीएमसीएच इसे पीछे छोड़ देगा। यह दुनियाँ का  सबसे अधिक व्यस्त रहने वाला हॉस्पिटल है।  बिहार सरकार द्वारा प्रदेश के विभिन्‍न हिस्‍सों में अगले 15 महीनों में 3600 करोड़ की लागत से 1600 नए अतिरिक्‍त प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र, हेल्‍थ एण्‍ड वेलनेस सेन्‍टर एवं सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खोलने का प्रक्रिया प्रारंभ हो गया है।

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