बिहारी पुलिसवाले ने रची थी विकास दुबे की गिरफ्तारी का व्यूह.

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सिटी पोस्ट लाइव :कानपूर का गैंगस्टर विकास दुबे आखिरकार पुलिस एनकाउंटर में ढेर हो गया. कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद उज्जैन में महाकाल की पूजा करने पहुंचे विकास दुबे की गिरफ्तारी की व्यूह रचना एक बिहारी पुलिस अधिकारी ने ही की थी.बिहार के  सारण के मनोज सिंह ने ऐसा कमाल कर दिखाया है कि उत्तर प्रदेश सरकार उनकी काबिलियत की मुरीद हो गई है. दरअसल उज्जैन में विकास दुबे को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम के नेतृत्वकर्ता मनोज सिंह सारण (Saran) के सपूत हैं. वह मांझी थाना क्षेत्र के मुबारकपुर गांव निवासी स्वर्गीय शिव रतन सिंह के पुत्र हैं .उज्जैन में पुलिस अधीक्षक के पद पर पदस्थापित हैं.

विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए यूपी की सरकार ने पांच दर्जन से अधिक पुलिस टीम का गठन कर रखा था बावजूद इसके यूपी की पुलिस विकास दुबे को गिरफ्तार करने में नाकाम रही. विकास दुबे उत्तर प्रदेश से भागकर मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के महाकाल मंदिर जा पहुंचा. वहां पर सारण के इस सपूत ने इस कुख्यात को धर दबोचा.गौरतलब है कि कानपुर जिले में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य अभियुक्त विकास दुबे था. मंदिर तक पहुंचने के बाद उसने खुद सरेंडर किया या उसे पुलिस प्रशासन ने गिरफ्तार किया, इसको लेकर देश में बहस छिड़ गई. लेकिन, इस बात की जोरदार चर्चा है कि उज्जैन के एसपी और मांझी के मुबारकपुर निवासी स्व शिवयत्न सिंह के बेटे मनोज सिंह के कुशल नेतृत्व में उनकी टीम ने विकास दुबे को गिरफ्तार कर लिया.

एसपी मनोज सिंह और उनकी टीम को लेकर सारण जिले के लोग खुद को गौरवांन्वित महसूस कर रहे हैं. मनोज सिंह ने वर्ष 1994 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और वर्ष 1995 में डीएसपी बने. पन्द्रह वर्षों तक वे आधा दर्जन से अधिक अनुमंडलों में डीएसपी रहे. इस दौरान उनकी ईमानदारी साहस और कुशलता से प्रभावित होकर राज्य सरकार ने वर्ष 2010 में इन्दौर का एसपी बनाकर प्रोन्नति दी. कई जिलों में बतौर एसपी वे बेहद लोकप्रिय रहे. कोरोना संक्रमण के बीच शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें उज्जैन का एसपी बनाया.कोरोना संक्रमण से बचाव के मामले में वे बेहद सफल रहे और आज उज्जैन मन्दिर से विकास दुबे को गिरफ्तार कर एक बार फिर उनका नाम चर्चा में है.

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