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खैनी पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से पीछे हटी सरकार ,मंत्री ने कहा-जागरूकता फैलायेगें

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सिटी पोस्ट लाईव ; खैनी ( तम्बाकू ) पर प्रतिबन्ध लगाने का बिहार सरकार का फैसला फिरहाल  अभी टल गया है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ‘खैनी’ पर प्रतिबंध लगाने के  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिख चुके हैं.लेकिन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने फिरहाल खैनी पर प्रतिबन्ध लगाए जाने की संभावना को खारिज कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सोमवार को कहा कि राज्य में खैनी को प्रतिबंधित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने केंद्र सरकार को कोई पत्र नहीं भेजा है.

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि प्रदेश में खैनी पर प्रतिबंध लगाए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. गौरतलब है कि दो दिन पहले ही यह रिपोर्ट आई थी, जिसके अनुसार बिहार सरकार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर खैनी को खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (एफएसएसए), 2006 के अंतर्गत लाने के लिए कहने की योजना बना रही है. ऐसा कहा जा रहा था कि यह कदम तंबाकू के शुद्ध रूप, खैनी की खपत पर प्रतिबंध लगाने के लिए उठाया जाएगा.खैनी पर प्रतिबंध की खबर से नाराज किसानों ने प्रतिबंध को मानने से इंकार कर देने का एलान कर दिया था.दरअसल खैनी की खेती में लाखों किसान वर्षों से लगे हैं .उनका कहना है कि इसके ऊपर प्रतिबंध लग दिए जाने से उनकी रोजी रोटी छीन जायेगी.

समाजशास्त्री एस नारायण कहते हैं –“खैनी पर प्रतिबन्ध लगाना शराब की तरह आसान काम नहीं.बिहार के गावं देहात के 90 फीसदी लोग इसका इस्तेमाल करते हैं.उनको खैनी की ऐसी लत पड़ गई है कि उसके बिना वो जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते.उनका मानना है कि बिहार में अंग्रेजों ने शाजीष के तहत दो बड़े काम किये.एक तो गंगा के एक ईलाके में गांजा,भांग अफीम की खेती शुरू कर दी और मुंगेर में बन्दूक का कारखाना खोल दिया.उनके इन दो कामों से बिहार की संस्कृति नष्ट हो गई.एक ईलाके के लोग नशे की खेई में फंस गए तो दूसरी तरफ घर घर में बन्दूक का निर्माण होने लगा.

जिस प्रदेश की जनता का अभिन्न अंग बन गया हो भांग,गांजा ,अफीम और खैनी,वहां इसके ऊपर प्रतिबंध लगाना सरकार के लिए आसान काम नहीं है.इसलिए अब स्वास्थ्य मंत्री प्रतिबन्ध लगाये जाने की बजाय लोगों को जागरूकता के जरिये इससे बाहर निकलने की उम्मीद कर रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री सलाह दे रहे हैं- ‘मुंह के कैंसर से बचने के लिए खैनी और अन्य तंबाकू के उत्पादों का उपयोग नहीं करना चाहिए. कैंसर के 40 फीसदी मामले तंबाकू और खैनी से जुड़े हुए हैं. लेकिन पिछले 6 सालों में खैनी सहित अन्य तंबाकू उत्पादों में 54 फीसदी की कमी आई है.’मंत्री जी चुनावी साल में खैनी पर प्रतिबंध लगाकर लाखों किसानों की नाराजगी नहीं मिल लेना चाहते .

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