बिहार की टीम का रणजी में खेलने का रास्ता साफ,आदित्य वर्मा ने कहा यदि बेटे का चयन …….

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अगर विजय हजारे ट्राफी में  बेटे का चयन हुआ तो क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन से मुक्त हो जायेगें आदित्य सिटीपोस्टलाईव बिहार की टीम 18 साल बाद रणजी ट्रॉफी में खेलेगी. बीसीसीआई ने मंगलवार को ड्राफ्ट संविधान सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसी साल सितंबर से सभी टूर्नामेंट में बिहार की टीम खेलेगी. इसके बाद बिहार की टीम का रणजी और दूसरे अन्य घरेलू क्रिकेट मैच खेलने का रास्ता भी साफ हो गया है.सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को कहा कि अगर किसी को ड्राफ्ट संविधान पर अपनी राय देनी है तो 3 दिनों के भीतर एमिक्स गोपाल सुब्रमण्यम को दे दें. इसके साथ ही कल होने वाले महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव अब 11 मई तक नहीं होंगे. कोर्ट ने कहा कि अगर MCA ने संविधान आदेश के मुताबिक नहीं बनाया तो ये अरब सागर में जाएगा. कल के चुनाव को स्थगित करें. सुप्रीम कोर्ट 11 मई को अगली सुनवाई करेगा.

बिहार क्रिकेट को उसका हक़ दिलानेवाले आदित्य वर्मा ने एलान किया है किया है कि  सितम्बर महीने से शुरू होने वाले विजय हजारे ट्राफी में खेलने के लिए अगर उनके बेटे लखन राजा का चयन हो जाता है तो वो क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन वर्क से अपने आपको  मुक्त कर लेंगें. बिहार क्रिकेट के लिए अपना सबकुछ दावं  पर लगा देनेवाले आदित्य वर्मा को ये कुर्बानी  अपने बेटे के क्रिकेट प्रेम के कारण देना पड़ेगा.

गौरतलब है कि बिहार क्रिकेट को उसका हक़ दिलाने के लिए सड़क से न्यायालय तक वर्मा ने लड़ाई लड़ी .उनके अथक प्रयासों का ही नतीजा था कि   4 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार को रणजी ट्रॉफी में खेलने की अनुमति दिए जाने का  निर्देश दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस बाबत कहा कि यह फैसला क्रिकेट के हित को ध्यान में रख कर लिया जा रहा है. ये सबकुछ होपाया केवल आदित्य वर्मा की कोशिश के कारण .बिहार को उसका हक दिलाने वाले असल हीरो आदित्य वर्मा ही  हैं.  बीबीसीआई के खिलाफ कोर्ट में वह इस मामले को लेकर लड़ने के लिए  अपनी पत्नी के जेवर तक बेच दी . क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार  के सचिव श्री वर्मा ने इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दी थी.

बिहार का संघर्ष साल 2005 में तब शुरू  हुआ था जब  बीबीसीआई के अध्यक्ष तब शरद पवार थे. 2010 से अब तक रणजी ट्रॉफी में बिहार का भविष्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 16 बार सुनवाई हुई. बीसीसीआई बिहार को टूर्नामेंट से बाहर रखना चाहता था लेकिन  वर्मा के सबूतों और दलीलों से संतुष्ट नजर आए कोर्ट ने आखिरकार बिहार क्रिकेट के पक्ष में अपना फैसला दे दिया .

बिहार क्रिकेट को उसका हक़ दिलाने के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर देनेवाला यह सख्श एकबार फिर क्रिकेट से अलग हो जाएगा .केवल वजह से कि उसके बेटे के चयन को लेकर कोई सवाल न उठे.

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