बिहार बोर्ड के नियमावली में फॉर्म भरने को लेकर न्यूनतम उपस्थिति का कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल में पोशाक राशि, छात्रवृत्ति, साइकिल आदि जैसी योजना को लेकर मिनिमम अटेंडेंस अनिवार्य किया गया है.लेकिन बोर्ड का काम ये जांच करना नहीं कि परीक्षा में शामिल होनेवाले छात्रों का अटेंडेंस कितना है. छात्र 70 रूपए शुल्क देकर स्क्रूटनी के लिए आवेदन दे सकते हैं..
सिटी पोस्ट लाईव :बिहार बोर्ड के टॉपर को लेकर उठ रहे सवाल से परेशान बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने आज फिर सफाई दी. 2018 के टॉपर बनी कल्पना के अटेंडेंस को लेकर उठे सवाल और रिजल्ट से नाखुश छात्रों के हंगामे पर उन्होंने सोमवार को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बिहार बोर्ड के नियमावली में फॉर्म भरने को लेकर न्यूनतम उपस्थिति का कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल में पोशाक राशि, छात्रवृत्ति, साइकिल आदि जैसी योजना को लेकर मिनिमम अटेंडेंस अनिवार्य किया गया है.लेकिन बोर्ड का काम ये जांच करना नहीं कि परीक्षा में शामिल होनेवाले छात्रों का अटेंडेंस कितना है.
आनंद किशोर ने आगे कहा कि फॉर्म भरने की जिम्मेदारी स्कूल की होती है. उन्होंने कहा कि छात्र खुद नहीं बल्कि स्कूल उनका फॉर्म भरता है. ऐसे में स्कूल की ये जिम्मेवारी बनती है कि वह देखे कि फॉर्म भरने के लिए छात्र का क्या अटेंडेंस होना चाहिए .वहां न्यूनतम उपस्थिति का मानदंड क्या रखा गया है, इसकी जानकारी और इसका पालन करना स्कूल की जिम्मेवारी बंटी है न कि बोर्ड की.आनंद किशोर ने कहा कि उन्होंने कई स्कूल और कॉलेजों के प्राचार्यों से बात की तो पता चला कि सब जगह अलग अलग सबने अलग-अलग पारामीटर तय कर रखा है.
आनंद किशोर ने कहा कि जिन छात्रों के सब्जेक्ट की मार्किंग में गड़बड़ी हुई है या उनकी कोई भी शिकायत है तो वे बिहार बोर्ड की वेबसाइट पर जाकर अपने रोल कोड और रोल नंबर के साथ शिकायत कर सकते हैं. उनकी एक-एक शिकायत को गंभीरता से लेकर जांच की जाएगी और समस्या दूर की जाएगी.उन्होंने कहा कि गड़बड़ियां सिर्फ बिहार बोर्ड में ही नहीं देश के अन्य बोर्ड में भी होती है. इसके लिए ही स्क्रूटनी का विकल्प दिया जाता है. हर साल हजारों गलतियों को दूर भी किया जाता है. ऐसा सभी बोर्ड में होता है. उन्होंने बताया कि छात्र 70 रूपए शुल्क देकर स्क्रूटनी के लिए आवेदन दे सकते हैं..