राजधानी में खाकी-खादी का खेल, दारोगा ने नेताओं के जरिये सरकारी जमीन पर किया कब्ज़ा

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव : खादी और खाकी मिल जाए तो भला कौन सा काम असंभव है. खाकी और खाकी के मिल जाने से हर अवैध काम वैध हो जाता है. हर गैर-कानूनी काम कानूनी हो जाता है.खाकी और खाकी के मिल जाने से एक से एक बड़े खेल हो सकते हैं. वैसे तो हमेशा खाकीवाले  ( पुलिस ) का इस्तेमाल खादीवाले ( नेता ) ही करते रहे हैं. लेकिन पटना में एक खाकी वाले द्वारा खाकीवालों का इस्तेमाल किये जाने का एक हैरान कर देनेवाला मामला सामने आया है . सरकारी जमीन पर कब्ज़ा जमाने के लिए  खादी का  खाकी द्वारा इस्तेमाल किये जाने का एक बड़ा मामला राजधानी पटना में सामने आया है. अगरमकुवां थाने के एक दलित दारोगा ने अपने दलित होने का फायदा उठाते हुए अगम कुवां थाना क्षेत्र के हाउसिंग कालोनी की सरकारी जमीन पर कब्ज़ा जमा लिया .

सरकारी जमीन पर कब्ज़ा जमाने के लिए दारोगा जी ने वहां पर सबसे पहले गरीब दलित बच्चों को पढ़ाने के लिए एक स्कूल खोल दिया .फिर भी जब स्थानीय लोगों का विरोध जारी रहा तो उसने वहां संविधान निर्माता बाबा भीमराव अम्बेडकर की आदमकद प्रतिमा लगा दिया. इस  प्रतिमा  के अनावरण के बहाने उसने एक कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम का उद्घतानकर्ता पूर्व मुख्यमंत्री दलित नेता जीतन राम मांझी को बना दिया. इतना ही नहीं उसने अपना प्रभाव दिखाने के लिए जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव को बुला लिया .सत्ता का हनक दिखाने के लिए  उसने सत्ताधारी दल के सबसे बड़े चर्चित दलित नेता श्याम रजक और बीजेपी के स्थानीय  विधायक अरुण सिन्हा को भी अपने कार्यक्रम का हिस्सा बना लिया .सरकारी जमीन पर कब्ज़ा करनेवाला  अगर खुद एक खाकी वर्दी वाला हो ऊपर से उसके साथ इतने प्रभावशाली खाकी वर्दी वाले नेता खड़े हों तो  जनता भला कैसे हिम्मत जूटा  सकती है विरोध करने का.

सरकारी जमीन पर अवैध कब्ज़ा करनेवाले इस दारोगा के कार्यक्रम  में केवल ये नेता आये ही नहीं बल्कि उसके अवैध और गैर-कानूनी काम को वैध और कानूनीरूप से सही भी ठहरा दिया. जीतन राम मांझीं  ने इस अवैध कब्जे को जायज  ठहराते हुए कहा-” हर जगह जब तुलसी का पौधा  हो तो लोग पेशाब करने कहाँ जायेगें? बड़े बड़े लोग सरकारी जमीन पर कब्जा कर अधिकारियों को मिलाकर माल बना लेते हैं, उन्हें कोई नहीं रोकता फिर एक दलित दारोगा को सरकारी जमीन पर अवैध कब्ज़ा कर दलितों के लिए स्कूल बनाने से कौन रोक सकता है ?  जो इस जमीन पर लगी भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति को तोड़ने आएगा ,उसका हाथ हम तोड़ देगें ” जाहिर है  नेताजी को यहाँ धोखे से नहीं बुलाया गया है. उन्हें सब जानकारी है  दारोगा के इस अवैध कारनामे के बारे में .वो  इस अवैध और गैर-कानूनी काम को वैधता देने के लिए ही तो आये हैं.

वैसे पटना पुलिस पर पहले भी दबंगों से पैसा लेकर उन्हें गरीब और असहाय लोगों के घर और जमीन पर कब्ज़ा दिलाने और उन्हें झूठे मुकदमे में जेल भेंज दिए जाने के आरोप  लगते रहे हैं. लेकिन पहलीबार किसी दारोगा ने राजधानी पटना में सरकारी जमीन पर नेताओं की मदद से कब्ज़ा करने का खेल कर दिया है. खाकी और खादी के इस खेल से सब हैरान हैं ,परेशान हैं.स्थानीय लोगों में आक्रोश है लेकिन अब वो जायेगें कहाँ? यहाँ तो खाकी खादी दोनों ही मिल गए हैं. जब खाकी खाकी मिलकर किसी वारदात को अंजाम देने लगें तो भला , उन्हें कौन रोक पायेगा ?

पटना सिटी से पिक्कू मिश्र की विशेष रिपोर्ट

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