खामखा बदनाम हो रहे हैं चमगादड़, यहां तो लोग कर रहे हैं इनकी पूजा

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव : एक तरफ देश में निपाह वायरस का आतंक फैला है, जिसका दोष चमगादड़ों पर लगाया जा रहा है. वहीँ दूसरी तरफ मुजफ्फरपुर के बादुर छपरा गांव में चमगादर को पूज्यनीय मानते हैं. गांव वालों का कहना है कि निपाह वायरस चमगादर से नहीं फैलता है.  इस बात को सरासर झूठा और चमगादरों को बदनाम करने वाली बात करार देते हैं.

बता दें बादुर छपरा गांव में लाखों की संख्या में चमगादड़ों का बसेरा है. फिर भी यहां के लोग स्वस्थ हैं. मुशहरी प्रखंड के बादुर छपरा गांव में चमगादड़ों को बादुर भी कहा जाता है और यह इलाका उसी के नाम से जाना जाता है. इतना ही नहीं इस गांव में दूधनाथ बाबा मंदिर है. जहां सैंकड़ों वर्ष पूर्व मंदिर के इर्दगिर्द चमगादड़ों ने बसेरा बनाया था.

 

गांव वाले बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले एक बार यहां से चमगादड़ रूठ कर चले गए. जिस कारण इलाके में आफत आ गयी. लोगों के बीच बीमारी फैलने लगी. गांव की हालत इतनी ख़राब थी कि हर घर में कोई न कोई बीमार रहने लगा. मानों जैसे पूरे गांव में महामारी की स्थिति पैदा हो गई हो.

जब गांव के लोगों ने सलाह मशवरा किया तो इस नतीजे पर पहुंचे कि गांव में फिर से चमगादड़ों को वापस लाना होगा. इलाके के लोगों द्वारा इन चमगादड़ों की खोज की गयी और फिर इनको मान मनौअल कर के  वापस  लाया गया. जिसके बाद इलाके के लोग स्वस्थ और गांव कि स्थिति पहले जैसी खुशहाल हुई.

 

बताते चलें की दूधनाथ बाबा और चमगादड़ों के दर्शन के लिए सिर्फ इलाके के ही नहीं देश और विदेशों से भी लोग आते हैं. गांव वालों का मानना है कि चमगादड़ों का दर्शन कर दूधनाथ बाबा को जलाभिषेक करने पर सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. गौरतलब है कि इन दिनों निपाह वायरस का डर हर राज्य में फैला है. जिसे लेकर केंद्र सरकार ने भी गाइडलाइंस जारी कर चुके हैं.

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों में फैलता है. 1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसके मामले सामने आए थे. इस जगह के कारण ही इसे निपाह वायरस नाम दिया गया. पहले इसका असर सुअरों में देखा गया था. फिर 2004 में यह वायरस बांग्लादेश में फैला.अब भारत में यह केरल में पहली बार सामने आया है. इस वायरस से प्रभावित लोगों को सांस लेने की दिक्कत होती है फिर दिमाग में जलन महसूस होती है. वक्त पर इलाज नहीं मिलने पर मौत हो जाती है.

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