सिटी पोस्ट लाइव : आजकल राजनेता वोटों के ध्रुवीकरण के लिए अक्सर भड़काऊ भाषण और बयान देते रहते हैं.लेकिन उनका कुछ नहीं बिगड़ता.पहलीबार उत्तर प्रदेश में किसी नेता की विधायकी भड़काऊ भाषण देने के कारण चली गई है.उत्तर प्रदेश से सपा के विधायक आजम खां पहले ऐसे नेता हैं.वैसे दुसरे आरोपों में पिछले दो दशक में दर्जनों विधायकों की विधायकी छीन गई है लेकिन भड़काऊ भाषण देने के कारण अपने कुर्सी गवानेवाले पहले विधायक आजम खान ही हैं.
यूपी विधानसभा में कई सदस्य अपनी विधायकी गवां चुके हैं. देश की सबसे बड़ी विधानसभा में बीते 17 सालों में 35 सदस्य अपनी सदस्यता खो चुके हैं. 16 वीं विधानसभा में तो 20 विधायकों की सदस्यता अलग-अलग समय पर विधानसभा अध्यक्ष ने दल-बदल विरोधी कानून के तहत खत्म कर दी. 17 वीं विधानसभा में अदिति सिंह, राकेश सिंह, नितिन अग्रवाल के खिलाफ इसी आधार पर सदस्यता खत्म कराने की याचिका तत्कालीन विधानसभा अध्यक्षों ने सही नहीं माना और याचिका खारिज कर दी.
प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव की सदस्यता खत्म कराने की मुहिम सपा ने शुरू की थी लेकिन बाद में याचिका वापस ले ली. इसी विधानसभा के दौरान अदालती आदेश से चार अन्य विधायकों की सदस्यता खत्म हुई और लंबे समय तक चुनाव लड़ने पर रोक लग गई.वर्ष 2007 में 13 तेरह सदस्यों की सदस्यता दलबदल में समाप्त हुई थी. उनमें छह मंत्रियों राजपाल त्यागी, राजेंद्र सिंह राणा, योगेश प्रताप सिंह, बीरेन्द्र सिंह बुन्देला, शैलेन्द्र सिंह और दिनेश सिंह को विधायकी जाने के कारण मंत्री पद भी छोड़ना पड़ा था. 15 वीं विधानसभा में बाहुबली नेता डीपी यादव की पत्नी उमिलेश बदायूं बिसौली से चुनाव जीती थीं. उपविजेता ने उन पर ज्यादा पैसा खर्च करने व पेड न्यूज छपवाने की शिकायत की. वर्ष 2011 में चुनाव आयोग ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी.