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अयोध्या मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नमाज पढ़ना मस्जिद का अभिन्न हिस्सा नहीं

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अयोध्या मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नमाज पढ़ना मस्जिद का अभिन्न हिस्सा नहीं

सिटी पोस्ट लाइव : अयोध्या विवाद से जुड़े इस्माइल फारूकी केस में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने  फैसले में कहा कि इस्माइल फारूकी केस में उसके फैसले को बड़ी बेंच के समक्ष नहीं भेजा जाएगा. सीजे दीपक मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि यह केस राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले से अलग है. मुख्य मामले पर इसका कोई असर नहीं होगा. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अर्जी खारिज कर दी.

कोर्ट ने कहा कि इस्माइल फारूकी केस से अयोध्या जमीन विवाद का मामला प्रभावित नहीं होगा. ये केस बिल्कुल अलग है. अब इसपर फैसला होने से अयोध्या केस में सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है. कोर्ट के फैसले के बाद अब 29 अक्टूबर 2018 से अयोध्या टाइटल सूट पर सुनवाई शुरू होगी. पीठ में तीन जज शामिल थे, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर.

सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दलील दी गई है कि इस पर जल्दी निर्णय लिया जाए. फैसले में कोर्ट बताएगा कि यह मामला संविधान पीठ को रेफर किया जाए या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा था कि संविधान पीठ के इस्माइल फारूकी (1994) फैसले को बड़ी बेंच को भेजने की जरूरत है या नहीं.

उधर, मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि इस फैसले पर दोबारा परीक्षण किए जाने की जरूरत है. यही वजह है कि अब अदालत इस बात पर फैसला करेगी कि फैसले को दोबारा देखने के लिए संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाना चाहिए या नहीं.गौरतलब है कि 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह फैसला सुनाया था कि विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जाए. एक हिस्सा रामलला के लिए, दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा मुसलमानों को दिया जाए. 30 सितंबर 2010 को जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एस यू खान और जस्टिस डी वी शर्मा की बेंच ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया था.

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