फिर बागी हुए तेजस्वी के कृष्ण, अलग पार्टी बनाकर लड़ने जा रहे विधानसभा चुनाव!

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइवः बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपनों की प्रेशर पाॅलटिक्स से परेशान हैं। आरजेडी का कुनबा चुनाव से पहले हीं बिखरता नजर आ रहा और हालात बता रहे हैं कि इसे समेटना तेजस्वी के बूते की बात नहीं है क्योंकि उनके कृष्ण एक बार फिर बगावत की राह पर हैं ऐसे संकेत मिल रहे हैं। पहले आरजेडी के पांच विधानपार्षद जेडीयू में चले गये। फिर रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस्तीफा दे दिया और अब बगावत का धुआं घर से हीं उठता नजर आ रहा है। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है कि तेजप्रताप यादव ने प्रेशर पाॅलटिक्स शुरू कर दी है। धर्मनिरपेक्ष जनता दल के नाम से एक राजनीतिक पार्टी का रजिस्ट्रेशन उन्होंने पहले से हीं करा रखा था और अब चुनाव आयोग में उन्होंने सिंबल के लिए अप्लाई किया है। कृष्ण की बांसूरी, सुदर्शन चक्र या फिर वृंदावन का मंदिर को तेजप्रताप अपनी पार्टी का सिंबल बनाना चाहते हैं। सवाल है कि आखिर अचानक तेजस्वी को सीएम बनाने वाले तेजप्रताप यादव अपनी अलग पार्टी को लेकर इतने सक्रिय क्यों हो गये हैं और आनन-फानन में चुनाव आयोग में सिंबल के लिए आवेदन क्यों दिया है?

दरअसल अंदरखाने की खबर यह है कि तेजप्रताप यादव को यह मैसेज दे दिया गया है कि विधानसभा चुनाव में उन्हें एक सीट महुआ मिलेगी जहां से वे मौजूदा विधायक है इसके अलावा सीटों के बंटवारे में उनकी नहीं चलेगी और इसके बाद तेजप्रताप यादव ने प्रेशर पाॅलटिक्स शुरू कर दी है। यह पहला मौका नहीं है जब तेजस्वी के कृष्ण बागी हुए हों लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने अपनी पार्टी और परिवार की मुश्किलें बढ़ा रखी थी। छपरा से आरजेडी उम्मीदवार चंद्रिका राय और जहानाबाद से आरजेडी उम्मीदवार सुरेन्द्र यादव के खिलाफ उन्होंने प्रचार किया था

। तेजप्रताप ने लालू-राबड़ी मोर्चा का गठन कर कई सीटों पर आरजेडी उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे। लोकसभा चुनाव में आरजेडी का खाता नहीं खुला तो इसकी एक वजह तेजप्रताप की बगावत भी बतायी जाती है। कहा जाता है कि आरजेडी जहानाबाद की सीट जीत सकती थी लेकिन तेजप्रताप की बगावत ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया। अब विधानसभा चुनाव से ऐन पहले वे एक बार फिर बगावत की राह पर हैं जाहिर है तेजस्वी यादव की चुनौतियां बढ़ने वाली है तेजप्रताप यादव को मना पाने में तेजस्वी कामयाब हो पायेंगे यह देखना होगा लेकिन अगर तेजप्रताप यादव नहीं माने तो आरजेडी को भारी नुकसान तय है।

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