सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना वायरस के बिहार में बढ़ते संक्रमण के कारण पूरे सूबे में राज्यव्यापी लॉक डाउन पुनः 15 दिनों के लिए 16 से 31 जुलाई तक किया गया है। लोग घरों में बंद हैं, जिससे दैनिक दिनचर्या काफी प्रभावित हुआ है. अचानक हुए इस परिवर्तन ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालना शुरू कर दिया है. इसके कारण लोगों के बीच चिंता, डर, अकेलापन और अनिश्चितता का माहौल बन गया है.कई लोग मौजूदा स्थिति में डरा हुआ या अकेला महसूस कर रहे हैं. रोज बढ़ते संक्रमण के मामले एवं सटीक उपचार की अनुपलब्धता ने लोगों के मन में कोरोना के प्रति डर में वृद्धि की है.
बदलकर अपना व्यवहार करें, कोरोना पर वार:
कोरोना के कारण बच्चों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. लंबे समय से स्कूल बंद होने के कारण बच्चे अपने दोस्तों के साथ मिलकर समय व्यतीत करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं, जिससे उनमें व्यवहार परिवर्तन भी देखने को मिल रहे हैं. कोविड-19 महामारी से संबंधित चिंता बच्चों में मनोवैज्ञानिक स्थितियों को जन्म दे सकती है. इसको लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार पूर्व से ही विभिन्न दिशा-निर्देश के जरिए कोरोना काल में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की अपील कर रही है. इसी क्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने पोस्टर के जरिए भी बच्चों में होने वाले व्यवहार परिवर्तन को समझ कर, उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में ले जाने की बात कही है.
इन लक्षणों के दिखने पर बच्चे को ले जायें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र:
• पढाई में मन नहीं लगना या रिजल्ट में गिरावट आना
• शारीरिक या मानसिक विकास में देरी
• एकाग्रता में कमी/ अति-सक्रियता
• मनोदशा में लगातार बदलाव होना
• बार-बार गुस्सा आना या आक्रामक होना
• नींद ठीक से नहीं आना
यदि आप ऐसा महसूस कर रहे हैं:
सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया लगातार लंबे समय तक उदासी,सोने खाने की आदतों में बदलाव आना,नकारात्मक विचारों का आना,आत्महत्या का विचार आना,बार-बार गुस्सा आना,नींद ठीक से लाना,थकान महसूस होना यदि आपमें ऐसे लक्षण विकसित होते हैं तो आप अवसाद से ग्रसित हो सकते हैं अगर आप 2 हफ्ते से ज्यादा समय से लक्षणों को महसूस कर रहे हैं तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर डॉक्टर से सलाह लें या हेल्पलाइन नंबर 080-46110007 पर कॉल कर परामर्श ले सकते हैं।
कोरोना, तनाव कैसे दूर होगा :
• नियमित दिनचर्या का पालन करें
• समय समय पर ब्रेक लें और नींद पूरी करने की कोशिश करें
• परिवारजनों, रिश्त्तेदारों और दोस्तों के संपर्क में रहें
• काम के अलावा कुछ शौकिया गतिविधियों से जुड़ें
• नियमित रूप से व्यायाम करें और संतुलित आहार ग्रहण करें
• तनाव मुक्ति के लिए योगाभ्यास करें
• यदि किसी धर्म में आस्था है तो धार्मिक गतिविधियों से जुड़ें
• अपने और अपने परिवार के लिए समय निकालें.
सुमित कुमार की रिपोर्ट