चाचा को मंत्री पद देने से नाराज चिराग ने जताया ऐतराज, सदन के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव : लोक जनशक्ति पार्टी के दो गुटों में बंटने से चिराग अकेले पड़ गए हैं. हालांकि उनका साथ अब भी हजारों कार्यकर्त्ता और लाखों चाहने वाले लोग दे रहे हैं. लेकिन कहते हैं न सत्ता की कुंजी सिर्फ जीतने वालों के साथ रहती है. ऐसा ही हाल चिराग पासवान के साथ हैं. 4 सांसदों के साथ अलग हुए पशुपति पारस को इसका इनाम भी मिल गया है. केंद की कैबिनेट में उन्हें जगह मिलने जा रही है. खबर अनुसार पशुपति पारस आज शाम मंत्री पद की शपथ लेंगे, लेकिन इस बात से चिराग पासवान काफी नाराज हैं. वे पहले ही कह चुके हैं कि पशुपति पारस और उनके साथी सांसदों को पार्टी ने निष्कासित कर दिया है. अगर केंद्र में उन्हें जगह दी जाती है तो उससे लोजपा को कोई लेना देन नहीं होगा. वे लोजपा पार्टी के सांसद नहीं बल्कि निर्दलीय कहलायेंगे.

हालांकि पशुपति पारस ने जब अलग गुट बनाया था तो उन्होंने खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर खुद संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी बन गए थे. इतना ही नहीं लोकसभा स्पीकर से मिलकर इस बात की जानकारी भी दी थी. जिसके बाद चिराग ने उन्हें पार्टी से निष्कासित करते हुए ये कहा था कि वे लोजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. ऐसे में जबतक मैं पार्टी से इस्तीफा न दे दूं, तबतक कोई अध्यक्ष नहीं बन सकता. मंगलवार को भी चिराग ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि पशुपति पारस का पार्टी से कोई लेना देना नहीं हैं.

लेकिन अब जब केन्द्रीय मंत्रिमंडल में पशुपति पारस को जगह मिलने जा रही है तो इसे लेकर चिराग पासवान बमक गए हैं. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस जी को पहले ही पार्टी से निष्काषित किया जा चुका है और अब उन्हें केंद्रीय मंत्री मंडल में शामिल करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है। आगे लिखा कि प्रधानमंत्री जी के इस अधिकार का पूर्ण सम्मान है कि वे अपनी टीम में किसे शामिल करते हैं और किसे नहीं।लेकिन जहां तक LJP का सवाल है श्री पारस जी हमारे दल के सदस्य नहीं हैं। पार्टी को तोड़ने जैसे कार्यों को देखते हुए उन्हें मंत्री, उनके गुट से बनाया जाए तो LJP का कोई लेना देना नहीं है.

इसके साथ ही चिराग ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा पार्टी से निकाले गए सांसदों में से पशुपति पारस जी को नेता सदन मानने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी ने माननीय लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उनके फ़ैसले पर पुनः विचार याचिका दी थी जो अभी भी विचाराधीन है। लोक जनशक्ति पार्टी ने आज माननीय लोकसभा अध्यक्ष के प्रारम्भिक फ़ैसले जिसमें पार्टी से निष्कासित सांसद श्री पशुपति पारस जी को लोजपा का नेता सदन माना था के फ़ैसले के ख़िलाफ़ आज दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है.

जाहिर है चाचा पशुपति पारस जिस तरह से चिराग को अकेला छोड़ अलग गुट बना खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया था. उससे चिराग काफी नाराज हैं. उन्होंने इसके खिलाफ कोर्ट में भी अपील कर दी है. उन्होंने साफ़ तौर पर कहा था कि पार्टी किसकी है ये फैसला कोर्ट करेगा. इसके लिए जितनी भी लम्बी लड़ाई लड़नी होगी वे लड़ेंगे. लेकिन अब जब पशुपति पारस लोजपा से मंत्री बनने जा रहे हैं तो चिराग जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान भी कहे जाते हैं. उन दोनों के रिश्तों में तनाव जरुर आएगी. देखना होगा कि अब आगे चिराग क्या करते हैं और क्या चिराग अब भी पीएम मोदी का साथ देते हैं या नहीं.

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