कोको कोला प्लांट में अमोनिया गैस लीक, भोपाल गैस कांड की पुनरावृति से बाल बाल बचा पटना
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की राजधानी पटना में भोपाल गैस कांड की पुनरावृति होते होते बच गई. राजधानी के इंडस्ट्रियल एरिया पाटलिपुत्र स्थित कोको कोला प्लांट में आज दोपहर में अमोनिया गैस का रिसाव शुरू हो गया. ये रिसाव इतना तेज था कि आसपास के ईलाके में अफरा तफरी मच गई. इसकी गंध से लोगों के नाक आँख में जलन होने लगी. लोग बेचैन हो उठे. शुरू में तो कंपनी की तरफ से इस गैस रिसाव की घटना पर पर्दा डालने की कोशिश की गई लेकिन जब तेज रिसाव से लोगों की हालत ख़राब होने लगी और फैक्ट्री में काम कर रहे कर्मचारी बाहर भागने लगे तब कंपनी ने अमोनिया गैस के लिक होने की खबर की आधिकारिक पुष्टि की.
इस गैस रिसाव की घटना को कवर करने गए सिटी पोस्ट के वरिष्ठ संवाददाता अभिषेक मिश्र प्लांट में पहुंचे तो उन्हें असहज मह्सुश होने लगा. नाक और आँख में जलन होने लगी. दुर्गन्ध ऐसा कि उन्हें वहां से भाग खड़ा होना पड़ा. लेकिन हैरत की बात ये थी कि इस गैस कांड की गंभीरता पर पर्दा डालने के लिए फैक्ट्री के कर्मचारियों को फैक्ट्री में ही बने रहने को कहा गया. अमोनिया गैस के रिसाव की चपेट में आने के खतरे के वावजूद फक्ट्री में मजदूर कम करते दिखे.
गौरतलब है कि अमोनिया गैस बेहद जहरीली गैस होती है. इसके रिसाव से सेहत को भारी नुकशान हो सकता है और ज्यादा गंध शरीर के अन्दर चला गया तो जान भी जा सकती है. भोपाल गैस कांड इसका सबसे बड़ा उदहारण है. सवाल ये उठता है कि कोको कोला जैसी बड़ी कंपनी के प्लांट में अमोनिया गैस लीक कैसे हो गया? अगर गैस लीक तुरत नियंत्रित नहीं होता तो एक बड़ा हदशा पटना में हो सकता था. सैकड़ों लोगों की सेहत ख़राब हो सकती थी और कईयों की जान जा सकती थी.
लेकिन चुकी कंपनी बड़ी है, अमोनिया गैस लीक होने की इस घटना को प्रशासन ने भी गंभीरता से नहीं लिया. कोई अधिकारी ये जांच करने नहीं पहुंचा कि गैस लीक कैसे हुआ? गैस लीक होने पर कंपनी के पास उससे निबटने की व्यवस्था है भी या नहीं, जानने की जरुरत अधिकारियों ने नहीं समझी. कहने के लिए पाटलिपुत्र का इलाका इंडस्ट्रियल ईलाका है लेकिन आज की तारीख में यह घनी आबादी वाला एक रिहायशी ईलाका बन चूका है. इस तरह के रिहायसी ईलाके में अमोनिया गैस का इस्तेमाल कितना जायज है औत कितना खतरनाक ये जानने की जरुरत कभी सरकार ने मह्सुश नहीं की. इसके लिए सरकार को भोपाल गैस कांड जैसे हादशे का इंतज़ार है.
अमोनिया एक तीक्ष्ण गंध वाली रंगहीन गैस है. यह हवा से हल्की होती है तथा इसका वाष्प घनत्व 8.5 है. यह पानी में अति विलेय है. अमोनिया के जलीय घोल को लिकर अमोनिया कहा जाता है. यह क्षारीय प्रकृति का होता है. यूरिया, अमोनियम सल्फेट आदि रासायनिक खादों को बनाने में अमोनिया का उपयोग होता है. थोड़ी सी भी ज्यादा मात्रा में अमोनिया सूंघने पर जान जा सकती है. 1984 में भोपाल गैस त्रासदी इसका बड़ा उदाहरण है. प्रीऑन गैस का इस्तेमाल करके भी प्लांट चलाया जा सकता है. लेकिन ज्यादा मुनाफे के लिए कम्पनियाँ इस खतरनाक गैस का इस्तेमाल कर रही हैं.कोको कोला प्लांट में अमोनिया गैस के रिसाव की इस घटना से पटना के लोग दहशत में आ गए हैं. लोग कोको कोला प्लांट में किये जा रहे अमोनिया गैस के इस्तेमाल पर रोक लगाए जाने या फिर प्लांट को आबादी वाले ईलाके से दूर हटाने की मांग करने लगे हैं.अब देखना ये है कि सरकार के लिए लोगों की सेहत और जानमाल ज्यादा जरुरी है या कोको कोला जैसी कंपनियों का हित सर्वोपरि है.