सिटी पोस्ट लाइव : देश आज 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराया. लाल किले की प्राचीर से 8वीं बार देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने नया मंत्र दिया. उन्होंने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास में अब ‘सबका प्रयास’ शब्द भी जोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि इसी संकल्प से हम अपने सारे लक्ष्यों को पूरा करेंगे. इस दौरान उन्होंने कुल 88 मिनट का भाषण दिया.
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने सुभाषचंद्र बोस से लेकर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई तक के सभी वीर शहीदों को नमन किया. लाल बहादुर शास्त्री का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश इन सभी महापुरुषों का कर्जदार है और हमेशा रहेगा. इस दौरान पीएम मोदी ने एक बार फिर से कोरोना वैक्सीन के लिए दूसरे देशों पर निर्भर न रहने को उपलब्धि बताया. अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने देश की बेटियों के लिए भी बड़ी घोषणा की.
पीएम मोदी ने बताया कि आज मैं एक खुशी देशवासियों से साझा कर रहा हूं. मुझे लाखों बेटियों के संदेश मिलते थे कि वो भी सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहती हैं, उनके लिए भी सैनिक स्कूलों के दरवाजे खोले जाएं. दो-ढाई साल पहले मिजोरम के सैनिक स्कूल में पहली बार बेटियों को प्रवेश देने का प्रयोग किया गया था. अब सरकार ने तय किया है कि देश के सभी सैनिक स्कूलों को देश की बेटियों के लिए भी खोल दिया जाएगा.
सैनिक स्कूलों का संचालन सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा किया जाता है जो रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आती है. सैनिक स्कूलों की स्थापना का उद्देश्य छात्रों को कम उम्र से ही भारतीय सशस्त्र बलों में प्रवेश के लिए तैयार करना था. इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में भारत को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए भारत के सामर्थ्य का सही इस्तेमाल, पूरा इस्तेमाल जरूरी है। इसके लिए जो वर्ग पीछे है, जो क्षेत्र पीछे है, हमें उनकी हैंड-होल्डिंग करनी ही होगी.
लद्दाख भी विकास की अपनी असीम संभावनाओं की तरफ आगे बढ़ चला है. एक तरफ लद्दाख, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण होते देख रहा है तो वहीं दूसरी तरफ ‘सिंधु सेंट्रल यूनिवर्सिटी’ लद्दाख को उच्च शिक्षा का केंद्र भी बनाने जा रही है. देश के जिन ज़िलों के लिए ये माना गया था कि ये पीछे रह गए, हमने उनकी आकांक्षाओं को भी जगाया है। देश मे 110 से अधिक आकांक्षी ज़िलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सड़क, रोज़गार, से जुड़ी योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। इनमें से अनेक जिले आदिवासी अंचल में हैं.
आज हम अपने गांवों को तेजी से परिवर्तित होते देख रहे हैं। बीते कुछ वर्ष, गांवों तक सड़क और बिजली जैसी सुविधाओं को पहुंचाने रहे हैं. अब गांवों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क, डेटा की ताकत पहुंच रही है, इंटरनेट पहुंच रहा है। गांव में भी डिजिटल एंटरप्रेन्योर तैयार हो रहे हैं. गांव में जो हमारी सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी 8 करोड़ से अधिक बहनें हैं, वो एक से बढ़कर एक प्रॉडक्ट्स बनाती हैं. इनके प्रॉडक्ट्स को देश में और विदेश में बड़ा बाजार मिले, इसके लिए अब सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म तैयार करेगी.