सिटी पोस्ट लाइव : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोक सभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है.उन्होंने 62 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची घोषित कर दी है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुछ नाम चौंकाने वाले हैं. हाल ही प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय कराने वाले शिवपाल यादव को भी पार्टी में महत्वपूर्ण पद मिल गया है.लेकिन यूपी के राजनीतिक गलियारों की गतिविधि पर पैनी नजर रखने वाले राजनीतिक पंडितों के अनुसार शिवपाल यादव घाटे के सौदे में चले गए हैं. कभी समाजवादी पार्टी में नंबर दो की भूमिका में रहने वाले शिवपाल को अखिलेश की कार्यकारिणी में पांचवें नंबर पर रखा गया है.
मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल यादव को लगातार प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी हुई थी. इस कारण दोनों भाइयों के बीच टकराव होते हुए भी कभी यह पार्टी के भीतर नहीं झलका. दोनों को लगभग एक जैसा पोर्टफोलियो पार्टी में मिला हुआ था.वर्ष 2012 में मुलायम सिंह यादव ने जब अपना उत्तराधिकारी अखिलेश यादव को घोषित कर दिया तो शिवपाल यादव के मन में विरोध की चिंगारी उठने लगी. वे अखिलेश के प्रतिद्वंदी के रूप में उभरने लगे. 2017 आते-आते अखिलेश और शिवपाल के बीच तलवारें खिंच गईं. शिवपाल समाजवादी पार्टी से अलग हो गये.प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई और पार्टी का संरक्षक उन्होंने मुलायम सिंह यादव को ही रखा. मतलब, मुलायमवादी राजनीति को लेकर शिवपाल चलते रहे.
लेकिन नई पार्टी गठन के बाद शिवपाल को हासिल कुछ नहीं हुआ. 2017 से लेकर 2022 तक शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच विवाद और सुलह जैसी स्थिति बनती-बिगड़ती रही. चुनावों में शिवपाल समाजवादी पार्टी के करीब ही दिखे.मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल और अखिलेश अधिक करीब आए. मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव में शिवपाल ने बहू डिंपल यादव के लिए जमकर प्रचार किया. पार्टी को बड़ी जीत हासिल हुई. इसके बाद उनकी समाजवादी पार्टी में दोबारा वापसी हुई. पार्टी में वापसी के बाद पहली बार उन्हें कोई पद मिला है.
प्रो. रामगोपाल यादव की हैसियत पार्टी में पहले जैसी है. शिवपाल यादव राष्ट्रीय महासचिव की भूमिका में होंगे. उनके सामने राष्ट्रीय प्रधान महासचिव की भूमिका में प्रो. रामगोपाल यादव होंगे. राष्ट्रीय महासचिव के 14 नामों में 1 नाम शिवपाल यादव का होने को लेकर राजनीतिक विश्लेषक इसे घाटे का सौदा मान रहे हैं.शिवपाल यादव की भूमिका प्रदेश स्तर की राजनीति में कम हो जाएगी. राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के बाद उनकी राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका बढ़ेगी. वे दिल्ली की राजनीति करते हुए नजर आएंगे.
अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा के साथ ही यह संकेत दे दिए हैं कि शिवपाल यादव को अगले लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार भी बनाया जा सकता है. ऐसे में शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव अब दिल्ली की राजनीति करेंगे. अखिलेश ने यूपी चुनाव 2022 के समय से ही साफ कर दिया है कि लखनऊ और यूपी की राजनीति को वे खुद देखेंगे. इस स्थिति में शिवपाल समर्थक सपा नेताओं की स्थिति में सुधार की गुंजाइश कम ही दिख रही है.
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