सिटी पोस्ट लाइव : पूर्व विधायक मो रुकनुद्दीन (Former MLA Mo Ruknuddin) असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) में शामिल हो गए हैं. पूर्णिया के मुस्लिम बहुल्य बायसी विधानसभा सीट पर कांग्रेस, RJD ,JDU (Congress, RJD, JDU) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इस ऐन वक्त पर एआईएमआईएम की सियासी चाल के रूप में देखा जा रहा है. एक तथ्य ये भी सामने है कि सीमांचल इलाके में ओवैसी की पार्टी लगातार खुद को मजबूत करती जा रही है. बता दें कि सीमांचल के चार जिलों में आने वाली 24 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं (Muslim voters) की बड़ी आबादी है और उसका प्रभाव भी अधिक है. ऐसे में ओवैसी अपनी सियासी दांव भविष्य की राजनीति को देखकर ही चल रहे हैं.
गौरतलब है कि फिलहाल किशनगंज की चार, अररिया की छह, कटिहार की सात व पूर्णिया की सात विधानसभा यानी कुल 24 विस सीटों में आधे पर एनडीए का कब्जा है. जिनमें JDU व BJP छह-छह सीटों पर काबिज है. बाकी की 12 सीटों में आठ पर कांग्रेस व तीन पर RJD के उम्मीदवार जीते हैं. जबकि, एक सीट एआइएमआइएम के खाते में है.हाल के वर्षों में कटिहार, अररिया, पूर्णिया और किशनगंज जिलों में जिस तरह AIMIM ने अपना विस्तार किया है.
बीते अक्टूबर में हुए विधानसभा उपचुनाव में ओवैसी की पार्टी ने किशनगंज की मुस्लिम बहुल सीट पर जीत हासिल कर सबको चौंका दिया था. किशनगंज की सीट पर उपचुनाव में खाता खुल जाने के बाद ओवैसी का दल उत्साहित है. दरअसल सीमांचल की इस सबसे महत्वपूर्ण सीट पर हमेशा कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन ओवैसी लगातार वहां का दौरा कर अपनी स्थिति को मजबूत करने में सफल रहे.
गौरतलब है कि किशनगंज में 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है.यहां से BJP ने अपना उम्मीदवार उतारा था, हालांकि जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं है. लेकिन खास बात ये है कि आरजेडी ने अपना समर्थन यहां कांग्रेस को दिया था. इसके बाद भी कांग्रेस तीसरे नंबर पर चली गई. जाहिर है कि ये आरजेडी और कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत तो बिल्कुल ही नहीं हैं.
सबके खास बात ये है कि AIMIM ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में सभी चार जिले अररिया, किशनगंज, पूर्णिया व कटिहार की 24 विस सीटों पर एनडीए व महागठबंधन की सीधी टक्कर देने की भी तैयारी की है. इनमें से कुछ सीटों पर असुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम भी त्रिकोणात्मक संघर्ष बनाने की कोशिश करने वाली है.
सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. जाहिर है इसका असर महागठबंधन की पार्टियों पर ही पड़ रहा है. दरअसल सीमांचल में चार जिले अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार में मुस्लिमों की आबादी करीब-करीब पचास फीसदी है. वहीं मुस्लिमों से जुड़े सेंटीमेंट को उभारना ओवैसी खूब जानते हैं. ऐसे में मुस्लिम वोटों में अगर बिखराव होता है तो आरजेडी-कांग्रेस को इसका सीधा नुकसान होगा.
पिछला चुनाव राजद व जदयू ने साथ-साथ लड़ा था. इस बार जदयू, भाजपा के साथ है, वहीं बिहार में इस बार कई सीट पर चुनाव लड़ने का मंसूबा पाले एआइएमआइएम के हौसले भी बुलंद हैं. प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान सीमांचल की कई सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में कई सीटों पर नये समीकरण बनेंगे.