केरल : बाढ़ के बाद महामारी, “रैट फीवर” ने ली अबतक 12 लोगों की जान
सिटी पोस्ट लाइव : केरल में बाढ़ तो ख़त्म हो गई लेकिन अपने पीछे जो खौफनाक मंजर छोड़कर गई, उससे स्थानीय नागरिक को दो-चार होना पड़ रहा है. वही अब एक नई मुसीबत के रूप में लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी फैल रही है. इससे महामारी का खतरा पैदा हो गया है. इसे ‘रैट फीवर’ के नाम से जाना जाता है. इस फीवर से 1 अगस्त से अब तक12 लोगों की मौत हो चुकी है. कोझिकोड और पथानमतिट्टा जिलों में 71 और लोगों में इस बीमारी के लक्षण मिले हैं. यह बीमारी जानवरों से इंसानों में फैलती है और बाढ़ के दौरान इसका खतरा बढ़ जाता है.
खबरों के अनुसार इस बुखार के रोगियों की संख्या में बढोत्तरी हो रही है. अधिकारियों ने बताया कि लगभग 350 से अधिक लोगों में रैट फीवर की शिकायत मिली है, जिनका इलाज प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में किया जा रहा है. पिछले पांच दिनो में इनमें से 150 मामले सकारात्मक पाए गए हैं. वहीँ सरकार ने मामले को देखते हुए लोगों से अतिरिक्त सावधानी बरतने के लिए अलर्ट जारी किया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि अभी केरल में जैसे हालत हैं, उसमें बारिश, बाढ़ और दूसरी तरह की आपदाओं के चलते पानी और मिट्टी के उस बैक्टीरिया से दूषित होने की बहुत आशंका है. जिससे लैप्टोसपोरोसिस यानि रैट फीवर के फैलने की संभावना होती है. जंगली और घरेलू दोनों ही तरह के जानवरों का इन बैक्टीरिया को फैलाने में बहुत रोल होता है. अगर किसी इंसान की त्वचा डूबने या तैरने के दौरान इस बैक्टीरिया के संपर्क में होती है तो यह बीमारी हो जाती है.
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अगर त्वचा कटी या छिली है तो इसके जल्दी संपर्क में आने की संभावना होती है. इसके बैक्टीरिया उस भीगी मिट्टी, घास या पौधों में जिंदा रहते हैं जिनपर इस बैक्टीरिया से ग्रसित जानवर ने पेशाब किया होता है. कभी-कभी इसका संक्रमण बैक्टीरिया से दूषित खाना खाने, कोई दूषित चीज चुभ जाने या फिर किसी बैक्टीरिया से दूषित पेय पदार्थ पीने से भी हो सकता है.
लेप्टोस्पायरोसिस के कुछ लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, ठंड, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, पीलिया, लाल आंखें, पेट दर्द, दस्त आदि शामिल हैं. किसी व्यक्ति के दूषित स्रोत के संपर्क में आने और बीमार होने के बीच का समय दो दिन से चार सप्ताह तक का हो सकता है.