सिटी पोस्ट लाइव : कोविशील्ड टिका लेनेवालों के लिए एक बड़ी खबर है.इस कोरोना वायरस वैक्सीन के बाद कुछ लोगों में एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या भी देखी जा रही है. वैक्सीन के थोड़े बहुत साइड इफेक्ट आम हैं लेकिन न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या हो जाए तो चिंता की बात है. एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन सेन्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार नर्वस सिस्टम से जुड़ी इस बीमारी का नाम गुलियन-बेरी सिंड्रोम है. दो अलग-अलग स्टडीज के मुताबिक, ये बीमारी अब तक कुल 11 लोगों में पाई गई है.
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के 7 मामले भारत के तो चार मामले UK के नॉटिंघम के हैं. इन सभी ने बीमारी के पता चलने से 10-22 दिन पहले एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगवाई थी. भारत में ये वैक्सीन लोगों को कोविशील्ड के नाम से दी जा रही है.गुलियन-बेरी सिंड्रोम (GBS) बीमारी में शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से नर्वस सिस्टम के कुछ हिस्सों पर हमला करने लगता है. ये तंत्रिकाएं दिमाग और रीढ़ के बाहर होती हैं. जर्नल एनल्स ऑफ न्यूरोलॉजी में छपी इन दोनों स्टडीज में गुलियन-बेरी सिंड्रोम के बारे में प्रमुखता से बताया गया है. स्टडी के अनुसार, ये एक तरह की दुर्लभ बीमारी है जिसमें मुख्य रूप से चेहरे की नसें कमजोर हो जाती हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत में ज्यादातर लोगों को ये बीमारी वैक्सीन के पहली डोज के दो सप्ताह के अंदर हुई है. इन सभी 7 लोगों में गुलियन-बेरी सिंड्रोम के गंभीर लक्षण पाए गए थे. स्टडी के अनुसार, स्टडीज के मुतबाकि जिन जगहों पर ये मामले दर्ज किए गए हैं, वहां ये अपेक्षा से 10 गुना अधिक तेज गति से फैला है.
इस बीमारी से इन लोगों के चेहरे के दोनों किनारे कमजोर होकर लटक गए थे. आमतौर पर गुलियन-बेरी सिंड्रोम के 20 प्रतिशत से कम मामलों में ऐसा ही ता है. ये स्टडी वैक्सीनेशन और इस बीमारी से जुड़े एक तरह के पैटर्न के बारे में बताती है. नॉटिंघम यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल से जुड़े एक डॉक्टर के अनुसार ‘SARS-CoV-2 की वैक्सीन बहुत सुरक्षित हैं फिर भी हमें चार ऐसे मामले मिले हैं जिन्हें ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगवाने के तीन सप्ताह के भीतर गुलियन-बेरी सिंड्रोम बीमारी हुई है.
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की स्टडी में भी कोरोना से संक्रमित मुंबई की एक गर्भवती महिला में गुलियन-बेरी सिंड्रोम का दुर्लभ मामला पाया गया था. स्टडी के अनुसार, प्रेग्नेंसी के पांचवें महीने में महिला का अचानक गर्भपात हो गया था. कोविड-19 से संक्रमित गर्भवती महिला में इस सिंड्रोम का ये पहला ऐसा मामला है जिसमें पेट के अंदर ही बच्चे की अचानक मौत हो गई.
गुलियन-बेरी सिंड्रोम नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारी है. शुरुआत में इससे शरीर में कमजोरी होने लगती है. चेहरे की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और हाथ-पैरो में झुनझुनाहट महसूस होती है. कुछ लोगों में इससे दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है. शरीर में फैलने पर इससे लकवा भी हो सकता है. हालांकि, कोरोना वैक्सीन के ट्रायल हुए हैं और उसमें वैक्सीन असरदार होने के साथ सुरक्षित भी साबित हुई है. भारत में करोड़ों लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगी है लेकिन अब तक यहां केवल सात ही ऐसे मामले मिले हैं. इसलिए वैक्सीन से डरें नहीं और कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन के दोनों डोज जरूर लगवाएं.