सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना संकट की वजह से प्रवासी मजदूरों का बिहार आने का सिलसिला जारी है. कोरोना (COVID-19) के कारण लागू लॉकडाउन (Lockdown) के बीच बिहार लौट रहे कई प्रवासियों की सड़क दुर्घटना और ट्रेन से कटने के कारण लगातार मौत हो रही है. लेकिन इसके अलावा अब बेबसी की मार झेल रहे मजदूरों की ट्रेन के सफर के दौरान भी मौत हो जा रही है. कई श्रमिक स्पेशल ट्रेनें (Shramik Special Train) लेट से चल रही हैं. खास कर लंबी दूरी की ट्रेनों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में निर्धारित समय से अधिक वक्त लग रहा है जिससे इसमें सफर करने वाले कई मजदूरों की भूख-प्यास और गर्मी की वजह से जान चली जा रही हैं. सोमवार को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से सफर करने वाले सात प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई. मृतकों में आठ माह का एक बच्चा भी था. साफ है कि कोरोना के पहले भूख- प्यास और गर्मी इन मजदूरों के लिए मौत बनकर आ रही है.
ईस्ट सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ राजेश कुमार ने ट्रेन में खाने-पीने की व्यवस्था और ट्रेनों की लेट लतीफी पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि किसी भी श्रमिक की मौत भूख से नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि कुछ मजदूरों की मौत तो अस्पताल में जाने के बाद हुई है. उन्होंने कहा कि रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन के यात्रियों को सुबह का नाश्ता से लेकर रात का खाना समय पर पहुंचा रही है. इसके लिए रेलवे ने अलग-अलग जोन में कई स्टेशनों पर फ़ूड सेंटर बनाया है, जहां जिस समय में जो ट्रेन आती है उसमें खाना और पानी दिया जाता है.ट्रेनों की लेट लतीफी पर उन्होंने कहा कि अमूमन ट्रेनें समय पर ही पहुंचती हैं. लेकिन जो लंबी दूरी की ट्रेन है उसे पहुंचने में थोड़ी देर हो रही है. लेकिन पांच से सात दिन की देरी से कोई भी ट्रेन नहीं चल रही है.