सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधान सभा की गोपालगंज और मोकामा सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर बिहार में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. महागठबंधन की ओर से आरजेडी के उम्मीदवार मैदान में हैं. दोनों सीटों पर मुख्य मुकाबला आरजेडी और बीजेपी के बीच है.सबसे ख़ास बात ये है कि जेडीयू के बड़े नेता चुनाव प्रचार से दूर है. जेडीयू के नेताओं और कार्यकार्ताओं में इस चुनाव को लेकर कोई उत्साह नहीं देखा जा रहा है. जेडीयू नेताओं का कहना है कि आरजेडी को जब भी जरूरत होगी, जेडीयू के नेता चुनाव प्रचार में जाएंगे. जबकि बीजेपी नेताओं का कहना है कि जेडीयू और आरजेडी को गठबंधन कहा ही नहीं जा सकता. यह तो सत्ता के लिए समझौता है.
मोकामा सीट से बीजेपी ने बाहुबली नेता ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को अपना प्रत्याशी बनाया है. सोनम देवी का मुकाबला आरजेडी की प्रत्याशी नीलम देवी से है. नीलम देवी अनंत सिंह की पत्नी हैं. एक मामले में अनंत सिंह के सजायाफ्ता होने के बाद उनकी विधायकी चली गई और मोकामा सीट खाली हो गई. गोपालगंज से बीजेपी की उम्मीवार कुसुम देवी हैं. कुसम देवी दिवंगत सुभाष सिंह की पत्नी हैं. उनका मुकाबला आरजेडी के मोहन गुप्ता से है. बीजेपी के विधायक रहे सुभाष सिंह के निधन से गोपालगंज सीट खाली हो गई. दोनों सीटों पर सभी प्रत्याशी चुनाव जीतने को लेकर पूरा जोर लगा रहे है.
मोकामा विधानसभा क्षेत्र मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. ऐसे में मुंगेर के सांसद और जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह का अब तक नहीं आना, कई सवाल खड़े करता है. आरजेडी के प्रत्याशियों के नामांकन पर्चा दाखिल करने के समय भी जेडीयू का कोई बड़ा चेहरा उपस्थित नहीं हुआ था, जिस कारण महागठबंधन में जेडीयू की नाराजगी के कयासों को और बल मिला.अनंत सिंह कभी जेडीयू के नेता थे और जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह के करीबी माने जाते थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से दोनों के बीच की दूरियां बढ़ गई. अनंत सिंह की पत्नी नीलम सिंह कांग्रेस के टिकट पर मुंगेर सीट से चुनाव लड़ीं, लेकिन जीत जेडीयू के ललन सिंह की हुई. 2020 के विधानसभा चुनाव में मोकामा सीट से अनंत सिंह ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. अब राज्य में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं और जेडीयू-आरजेडी साथ आ गए हैं, जिसके बाद मोकामा में उपचुनाव हो रहे हैं.
जेडीयू मोकामा में आरजेडी प्रत्याशी के खिलाफ काम कर रही है. गोपालगंज में भी यही स्थिति दिख रही है. गोपालगंज में भी अब तक जेडीयू के नेता खुलकर आरजेडी प्रत्याशी के समर्थन में नहीं उतरे हैं. ऐसे में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.इस बीच, जेडीयू के एक नेता नाम नहीं लिखने की शर्त पर कहते हैं कि आरजेडी को जब भी जरूरत होगी, जेडीयू के नेता चुनाव प्रचार में जाएंगे. उन्हें अब तक जरूरत महसूस नहीं हुई है. बीजेपी ख्याली पुलाव पका रही है. इस उपचुनाव में दोनो सीटों पर महागठबंधन की जीत तय है.