सन्नो 25 घंटे से फंसी है बोरवेल में, लेकिन नहीं पहुंची सेना, जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही उजागर
सिटी पोस्ट लाइव ,अभिषेक : पिछले 25 घंटों से बोरवेल में फंसी सन्नो की सलामती के लिए देश भर के मंदिरों-मजिदों और गुरुद्वारों में दुवाएं मांगी जा रही है.स्कूलों में बच्चे अपनी सन्नो की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.लोग हवन पूजा पाठ कर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं.तीन साल की सन्नो अभीतक सही सलामत है .बुधवार को दिन के 11 बजे सन्नो ने अपनी मां की आवाज सुनकर रिस्पोंड कर चुकी है. अंदर से मम्मी -पापा- कहकर आवाज दे रही है. उनके पापा बाहर से उसे संतावन ये कह कर दे रहे हैं कि बिटिया हम लोग छुपम छुपाई का खेल-खेल रहे हैं. हम आ रहे है तुम्हें देख लिया. अंदर से सना अभी भी आवाज दे रही है. सन्नो के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है. चोकलेट और पानी दिया गया है.लेकिन सन्नो ने अभीतक चाकलेट नहीं खाया है.महज तीन साल की बच्ची सन्नो पिछले 35 घंटे से जीवन के लिए संघर्ष कर रही है. 25 घण्टे गुजर जाने के वावजूद उसके आवाज आने से उसके सही सलामत बोरवेल से निकल जाने की संभावना बनी हुई है.बच्ची के रोने की आवाज से लोगों का कलेजा फटा जा रहा है. एसडीआरएफ और सेना के जवान राहत कार्य में जुटे हुए हैं. 48 फीट भरतीकल सुरंग में 40 फिट सुरंग खोदा जा चुका है. 2 फीट भर्टिकल सुरंग की खुदाई के बाद होरिजेंटल टनल की खुदाई प्रारंभ होगी. सबसे पॉजिटिव बात यह है कि शाम 4:00 बजे बच्ची बोरवेल में गिरी थी और 25 घंटे बीतने के बाद भी बच्ची अंदर मूवमेंट कर रही है.लेकिन इस मामले में जिला सबसे बड़ी लापरवाही सामने आई है. राहत बचाव के लिए जिला प्रशासन के पास अत्याधुनिक संसाधन नहीं है ऐसे में तुरत प्रशासन को तुरत सेना से संपर्क करना चाहिए था.लेकिन दुर्घटना के 25 घंटे के बाद भी सेना के नहीं पहुँचाने को लेकर सवाल उठ रहा है. जिला प्रशासन और मुंगेर एसपी का कहना है कि आर्मी से संपर्क किया जा चूका है. आर्मी की टीम स्टैंडबाई में है.जरुरत पड़ेगी तो बुला लेगें. सवाल ये उठ रहा है कि जब जिला प्रशासन के बाद संसाधनों की कमी है फिर उसने अबतक सेना को त्राहिमाम सन्देश क्यों नहीं भेंजा? गौरतलब है कि आर्मी के पास अत्याधुनिक संसाधन है और ऐसे मामलों में राहत बचाव कार्य में वह अहम् भूमिका निभा सकती है.फिर उसे बुलाने में देर क्यों हुई?