भईया… हमलोग रामगढ़ क्राॅस कर रहे हैं, दुर्घटना से ठीक पहले आया था काॅल

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भईया… हमलोग रामगढ़ क्राॅस कर रहे हैं, दुर्घटना से ठीक पहले आया था काॅल

सिटी पोस्ट लाइव, रामगढ़: `भईया… हमलोग रामगढ़ क्राॅस कर रहे हैं, एक घंटे में रांची पहुंच जाएंगे’- यही आखिरी फोन काॅल था अजीत का जो उसने शनिवार सुबह तकरीबन 3ः50 बजे अपने बड़े भाई रंजीत सिंह को किया था। इसी काॅल के दौरान हादसा हुआ। इनोवा कार के चालक ने सामने से आ रहे ट्रक में सीधी टक्कर मार दी। पलक झपकते सबकुछ ख़त्म हो गया। अचानक काॅल कटने से रंजीत को लगा कि नेटवर्क की समस्या रही होगी। इसके कुछ देर बाद आई पुलिस की कॉल तबाही की ख़बर लेकर आई। चार घर तबाह हो चुके थे। हादसे में सत्यनारायण सिंह, उनका बेटा अजीत, बेटी सरोज और रिंकू, दामाद मंटू कुमार सिंह और सुबोध कुमार सिंह, नाती रौनक, नतिनी कली और रूही असमय काल के गाल में समा गए। पुलिस द्वारा सूचना देने के बाद रामगढ़ पहुंचे रंजीत सिंह ने जब घटनास्थल का मंजर देखा तो खुद को संभाल नहीं पाए। वे इस हालत में ही नहीं थे कि इतने सारे परिजनों के एक साथ चले जाने का गम झेल सकें। सभी का अंतिम संस्कार रांची में ही किया जाएगा।
पिता-भाई 26 फरवरी, बहन-बहनोई 2 मार्च को गए थे आरा
रंजीत सिंह ने बताया कि रौनक का मुंडन करना था। अपने नाती के मुंडन की मन्नत पूरा करने के लिए उनके पिता सत्यनारायण सिंह और भाई अजीत सिंह 26 फरवरी को ही आरा जिले के जोगीबीर गांव पहुंच गए थे। तय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उनके फौजी बहनोई मंटू कुमार सिंह, जो असम में पदस्थपित थे वे भी छुट्टी लेकर 2 मार्च को जोगीबीर पहुंचे। रांची से सुबोध सिंह ने अपने एक दोस्त की गाड़ी किराए पर ली। 2 मार्च को उनका पूरा परिवार जोगीबीर के लिए निकला था। मंटू सिंह तो वापस अपनी ड्यूटी पर जाने वाले थे पर सुबोध सिंह ने ही उन्हें कुछ दिन रांची घूमने के लिए मनाया था।
माता की चुनरी और प्रसाद भी था गाड़ी में
घटना की सूचना पर जब पुलिस पहुंची तो कई लाशें गाड़ी में ही फंसी थी। पुलिस ने जब गेट तोड़कर लाशों को बाहर निकालना शुरू किया तो देखा कि माता की चुनरी और भोलेनाथ को चढ़ा प्रसाद भी गाड़ी में है। पूजन सामग्री को देखकर पुलिस को अंदाजा हुआ कि वे सभी किसी शुभ कार्य से लौट रहे थे।
घटनास्थल से मिला मात्र एक मोबाइल फोन
कुजू ओपी प्रभारी भरत पासवान ने बताया कि घटनास्थल से मात्र एक मोबाइल फोन बरामद हुआ है। वह काफी क्षतिग्रस्त हो चुका था इसलिए उसका सिमकार्ड निकाल कर मृतकों के परिजनों से संपर्क किया गया। पुलिस का यह भी मानना है कि घटनास्थल पर पहले से ग्रामीणों की भीड़ लगी हुई थी। शायद कुछ सामान वहां से उठाए गए थे।

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