बिहार में मनरेगा के तहत मजदूरों को मिलने लगा काम, 2 लाख 83 हजार को मिला कार्ड
सिटी पोस्ट लाइव : लॉकडाउन की वजह से बिहार में लौटे लाखों प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने की योजना पर बिहार सरकार गंभीरता से काम कर रही है. इसे लेकर सरकार ने काम शुरू करते हुए 2 लाख 83 हजार मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दे दिया है. ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही विभिन्न योजनाओं पर काम शुरू होने की वजह से लॉक डाउन टू में उन्हें काम करने का अवसर प्राप्त हो गया है.
ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार ने बताया है कि बिहार के बाहर से आए एक लाख 25 हजार से अधिक मजदूरों को भी मनरेगा के तहत काम देने के लिए बुलाया गया है. मनरेगा के तहत पंचायतों में काम की शुरुआत कर दी गई है. प्रधानमंत्री आवास योजना, छोटे तालाबों का निर्माण, जल संचयन पर योजनाओं का जीर्णोद्धार ,पौधारोपण एवं जल जीवन हरियाली योजना के अन्य कार्य के तहत मजदूरों को काम पर लगाया गया है.
इतना ही नहीं आने वाले दिनों में पंचायतों में 40 हजार प्रोजेक्ट पर पांच लाख लोगों को काम जल्द से जल्द दिया जाएगा. ग्रामीण विकास विभाग की योजना है कि प्रत्येक पंचायत में कम से कम 5 योजनाओं को शुरू किया जाए. ऐसा करने पर आठ हजार पंचायतों में लगभग 40 हजार प्रोजेक्ट शुरू कर दिए जाएंगे. इन प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद मनरेगा व अन्य काम में लगभग पांच लाख से अधिक मजदूरों को रोजगार मिल जाएगा.
बता दें बिहार सरकार के ग्रमीण विकास विभाग ने निर्णय लिया था कि, जो भी दिहाड़ी मजदूर बाहर के राज्यों से बिहार पहुंचे हैं, उनका मनरेगा जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा के तहत होने वाले कामों के लिए प्रयोग में लाया जाएगा. वापस आए मजदूरों में जो चाहेंगे उनका मनरेगा जॉब कार्ड बने, उन्हें जॉब कार्ड बनाकर काम दिया जाएगा. हालांकि, जो पहले से मनरेगा के तहत मजदूर काम कर रहे हैं, उनको भी बिहार सरकार लगातार काम दे रही है. लॉकडाउन के बाद चाहे तो बिहार में रह कर मनरेगा में काम कर सकते है.
बिहार में मनरेगा मजदूरों को प्रतिदिन काम के लिए 194 रुपए मजदूरी मिलेगी. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार बताया कि केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा मजदूरों की पारिश्रमिक में बढ़ोतरी किए जाने के बाद बिहार में मजदूरी में 26 रुपए की बढ़ोतरी हुई है. पहले 168 रु प्रतिदिन मजदूरी मिलती थी, लेकिन 1 अप्रेल से 194 रु प्रतिदिन दिया जाएगा.