8 घंटे बाद अपने अंजाम तक पहुंची कोरोना संक्रमित मृतक की अंतिम यात्रा

City Post Live

8 घंटे बाद अपने अंजाम तक पहुंची कोरोना संक्रमित मृतक की अंतिम यात्रा

सिटी पोस्ट लाइव, रांची: रांची के हिन्दपीढ़ी में रहने वाले कोरोना संक्रमित 60 वर्षीय व्यक्ति की रविवार को मौत हो गयी, जिसके बाद शहर के विभिन्न कब्रिस्तानों में दफनाने की कोशिश की गयी, लेकिन स्थानीय लोगों के भारी विरोध के बीच 18घंटे तक मृतक को मिट्टी नसीब नहीं हुई, अंत में रात ढ़ाई बजे मृतक को हिंदपीढ़ी के निजाम नगर के बच्चा कब्रिस्तान में ही रात के 2.ः30 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया गया। कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद सुपुर्द-ए-खाक में रांची नगर निगम के पूर्व पार्षद मो. असलम और उनके सार्थियों एवं मिल्लत पंचायत की अहम भूमिका रही। जबकि जनाजे की नमाज मौलाना ओबैदुल्लाह कासमी ने पढ़ाया। इस मौके पर रांची के उपायुक्त राय महिमापत रे, वरीय पुलिस अधीक्षक अनीश गुप्ता, ट्रैफिक एसएसपी, कोतवाली के डीएसपी समेत अन्य वरीय पुलिस-पदाधिकारी मौजूद थे। विशेष रूप से सहयोग के लिए मिटटी में देने में पूर्व वार्ड पार्षद मो०असलम, अमन यूथ सोसाइटी के सदस्य अफरोज आलम, नदीम इक़बाल, एजाज गद्दी,शाहिद अयूबी, मिल्लत पंचायत के सदर,मो०नेसार, उपाध्यक्ष शादाब खान,परवेज आलम, अफरोज खान, अकबर मुन्ना, आसिफ हुसैन,अब्दुल बारीक़,आरिफ खान, मो०तारिक, डॉ०तारिक, मो०शकील, रमजान अली, मसेउद्दीन, मो०इमरान राजा, शकील हबीबी, शिकंदर अरशद अंसारी शामिल हुए। अंत्येष्टि में सोशल डिस्टंसिंग के नियम का पूरी तरह से पालन किया गया। कोरोना पॉजिटिव मृतक के अंतिम संस्कार में डब्ल्यूएचओ का जो नियम है, उसका भी पालन किया गया। इस नियम के तहत अंतिम क्रियाक्रम में 4 लोग से ज्यादा शामिल नही हो सकते, उसी अनुसार मिटटी दी गई। इस कार्यक्रम में निजाम नगर बच्चा कब्रिस्तान क्षेत्र के लोगो का बहुत ही सहयोग रहा ।

इससे पहले रविवार सुबह 9ः05बजे हिंदपीढ़ी निवासी 60वर्षीय कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत के बाद जिला प्रशासन की टीम पूरे दिन शव को दफनाने के लिए राजधानी रांची में बरियातू से लेकर रातू रोड स्थित कब्रिस्तान के चक्कर लगाती रही। लेकिन आसपास के लोगों ने सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। जिस कोरोना पॉजिटिव हिंदपीढ़ी निवासी की कल मौत हुई, वे कोरोना संक्रमित महिला के पति थे। चिकित्सकों के मुताबिक वे डायबिटीज, बीपी और हार्ट के मरीज थे और नौ अप्रैल की सांस की तकलीफ होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। इस मौत के साथ ही महामारी की सबसे दर्दनाक दास्तां भी सामने आयी, मृतक के शव को दफनाने के लिए दो गज जमीन पर भी आफत नजर आयी। अंततः समाज के लिए कुछ लोगों की पहल से प्रशासन को अंतिम संस्कार करने में सफलता मिली।

Share This Article