जिस स्कूल की मान्यता 18 साल पहले रद्द हुआ, उसके निर्माण पर खर्च हो गया 1 करोड़ 27 लाख.

City Post Live

जिस स्कूल की मान्यता 18 साल पहले रद्द हुआ, उसके निर्माण पर खर्च हो गया 1 करोड़ 27 लाख.

सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में एक बड़ा मेधा घोटाले का माला सामने आया है. एक RTI कार्यकर्त्ता ने बीजेपी के विधान पार्षद पर संस्कृत विद्यालय के नाम पर करोड़ों रुपये का गड़बड़झाला करने का आरोप लगाया है.RTI कार्यकर्त्ता का दावा है कि इस घोटाले का प्रमाण उसके पास है. मधुबनी जिले के खजौली प्रखंड के कन्हौली पंचायत में एक संस्कृत उच्च विद्यालय के भवन निर्माण के नाम पर कोरोड़ों रूपए का घपला किया गया है.सरकार जिस संस्कृत विद्यालय की मान्यता रद्द कर चुकी है उसी के निर्माण के नाम पर विधान पार्षद ने अपने विधायक निधि से 1 करोड़ 27 लाख का अवांटन कर दिया.

सबसे ख़ास बात ये है कि ये संस्कृत विद्यालय विधान पार्षद के गावं में ही है. 19 90 के दशक में जिस विद्यालय का मान्यता रद्द हो गया था उसके निर्माण के नाम पर विधान पार्षद  बालेश्वर सिंह भारती ने करोड़ों रुपये दे दिया लेकिन ये पता करने की कोशिश नहीं किया कि आजतक विद्यालय बना क्यों नहीं.विधान पार्षद के पास इस सवाल का जबाब भी नहीं है कि पैसा गया कहाँ. यह घोटाला 2008  में किया गया जब बिहार में जेडीयू-बीजेपी की सरकार थी. यह घोटाला तब प्राकश में आया जब एक सामाजिक कार्यकर्त्ता ने RTI के तहत सूचना मांगी.

आरटीआई एक्टिविस्ट आमोद कर्ण के अनुसार  जिस विद्यालय की मान्यता आज से 30 साल पहले रद्द हो गई थी उस विद्यालय के नाम पर विधान पार्षद ने करोड़ों रुपये का घपला कर दिया. सिटी पोस्ट के स्थानीय संवाददाता के अनुसार जब वह कन्हौली गाँव मे स्कूल का मुवायाना करने पहुंचा तो उस संस्कृत उच्च विद्यालय का कहीं भी नामो निशान नही था जिसके निर्माण के नाम पर आज से 12 साल पहले 1 करोड़ 27 लाख तत्कालीन  विधान पार्षद  बालेश्वर सिंह भारती ने खर्च कर दिया.जिस संस्कृत विद्यालय के निर्माण पर करोड़ों रुपये लूटा दिया गया वह खास्ता हाल है और उसमे एक निजी विद्यालय चल रहा है.

विधान पार्षद बालेश्वर सिंह  भारती से जब संस्कृत विद्यालय के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सबके सामने आरटीआई एक्टिविस्ट को धमकी देना शुरू कर दिया.विधान पार्षद का कहना था कि उनकी सरकार किसी को नहीं बख्शती है.बिहार के कई नेता आर्थिक अपराध के मामले में जेल जा चुके हैं लेकिन बीजेपी का यह नेता इतना बड़ा गड़बड़झाला करने के वावजूद छाती तानकर खड़ा है.लोग सवाल कर रहे हैं कि लालू यादव और कई नेताओं को चारा घोटाले में जेल भेंजवाने वाले बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अपनी प्पर्टी के नेता के ऊपर लगे इस आरोप की जांच कब करायेगें.सिटी पोस्ट लाइव विधान पार्षद पर घोटाला करने का आरोप नहीं लगा रहा है.ये आरोप तो एक RTI कार्यकर्त्ता लगा रहा है. प्रमाण के तौर पर वह दिखा रहा है कि कैसे गड़बड़झाला किया गया. सच्चाई क्या है, घोटाला हुआ है या नहीं, जांच तो होनी ही चाहिए.

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