सावधान ! बिहार में क्या गुल खिला रहे हैं मोहन भगवत,किसके लिए खतरे की घंटी

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आगामी चुनाव में बीजेपी के भाग्य विधाता होंगें संघ संचालक मोहन भागवत.

संघ कैसे बिहार में अपनी शाखाएं तेजी से बढ़ा रहा है.उसकी बिहार में बढ़ती ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2013 में ‘ज्वाइन आरएसएस’ के तहत जहां 25 हजार ऑनलाइन आवेदन आए थे, वहीं 2017 में सवा लाख लोगों ने जुड़ने का आग्रह किया है.यानी पांच गुना बढ़ोतरी पिछले 6 साल में.पेश है श्रीकांत प्रत्यूष की विशेष रिपोर्ट —

सिटीपोस्टलाईव:  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरसंघचालक मोहन भागवत ऐसे ही बिहार का चक्कर नहीं लगा रहे.पिछले 5 महीनों में वो तीन दौरा बिहार का कर चुके हैं.संघ प्रमुख बहुत दिनों से बिहार पर कम कर रहे हैं.पिछले 7 साल की एनडीए सरकार के कार्यकाल के दौरान संघ ने अपन पूरा ध्यान बिहार पर लगा दिया था.नतीजा ये हुआ कि जहाँ संघ की कोई खास वजूद नहीं थी,आज वहीँ वह सबसे ज्यादा ससक्त बनकर उभर चूका है. बिहार में संघ के विस्तार अभियान को नई धार देने में भागवत सफल हुए हैं.

संघ कैसे बिहार में कैसे अपनी ताकत बढ़ा रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2013 में ‘ज्वाइन आरएसएस’ के तहत जहां 25 हजार ऑनलाइन आवेदन आए थे, वहीं 2017 में सवा लाख आवेदन आये हैं.यानी पांच गुना बढ़ोतरी पिछले 6 साल में. बिहार में संघ की कुल 1563 शाखाएं, 242 साप्ताहिक मिलन और 137 मंडलियां संचालित हो रही हैं.राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि संघ बिहार में इस कदर अपनी ताकत बढ़ा चूका कि आगामी लोक सभा और विधान सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की तरह कमाल दिखा सकता है.गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में संघ ने दलितों के हिन्दुकरण अभियान चलाकर मायावती की दूकान बंद करवा दी थी.

भागवत ने फरवरी में अपने दस दिवसीय बिहार प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं को ग्राम विकास, गौ संवर्धन, जैविक खेती और नए स्वयंसेवक बनाने व शाखा लगाने जैसे कई अहम् टास्क दिए थे.उनके निर्देश पर पुरे राज्य में लोगों को संघ के विचारों से अवगत कराने को लेकर विशेष अभियान चलाया गया.उन लोगों को भी जोड़ने की सफल कोशिश हुई जिनकी विचारधारा अलग थी.आज की तारीख में संघ में आस्था रखनेवाले लाखों कैडर तैयार हो चुकेहैं जो चुनाव में अहम् भूमिका निभायेगें.

फरवरी में मुजफ्फरपुर और पटना प्रवास के दौरान संघ प्रमुख ने गांवों में जाकर किसानों को जैविक खेती के प्रति प्रेरित किया. संघ का उत्साह इस बात से भी बढ़ा है कि शाखाओं में आने के लिए नए-नए लोग आवेदन कर रहे हैं. संघ का मानना है कि शहर की बड़ी आबादी सोसाइटी कल्चर में शिफ्ट हो रही है, किंतु उनतक आरएसएस के कार्यक्रमों की जानकारी नहीं पहुंच पाती है. यही वजह है कि समाज के पढ़े-लिखे और नौकरीपेशा तबकों तक आरएसएस के विचार पहुंचाने के मकसद से अपार्टमेंट प्रमुख नियुक्त करने की तैयारी की जा रही है.

शहरी क्षेत्रों में विस्तार के लिए संघ नई रणनीति अपना रहा है.अब अलग-अलग शहरों में रिहायशी सोसाइटियों को प्रचार का केंद्र बनाए जा रहे हैं.ग्रामीण और सेमी-अर्बन क्षेत्रों से निकलकर आरएसएस के प्रचारक अब बड़े शहरों की सोसाइटी में हर दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं. योजना की सफलता के लिए अब बाकायदा ‘अपार्टमेंट्स प्रमुख’ नियुक्त किए जा रहे हैं.यहीं अपार्टमेंट प्रमुख अपनी सोसाइटी या अपार्टमेंट में घर-घर जाकर संघ के विचार पहुंचा रहे हैं.

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