4 दिन से भूखे-प्यासे 300 किलोमीटर पैदल चलने वाले बिहारियों का क्या बिगाड़ पायेगा कोरोना?

City Post Live

4 दिन से भूखे-प्यासे 300 किलोमीटर पैदल चलनेवाले बिहारियों का क्या बिगाड़ पायेगा कोरोना?

सिटी पोस्ट लाइव : बिहारियों का कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा. जिस तरह से बिहारी लॉक डाउन में पैदल 300 किलो मीटर 4 दिन से भूखे-प्यासे दुरी पैदल तय कर ले रहे हैं, भला उनके पास कोरोना कैसे फाटक सकता है. आजमगढ़ से एक खबर आ रही है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western UP) के 28 मजदूर भी हैं, जो बिहार (Bihar) के समस्तीपुर (Samastipur) में जीवनयापन कर रहे थे. लॉक डाउन के बाद रुके रहे लेकिन पैसा समाप्त हो जाने के बाद पैदल ही घर की तरफ चल पडे. शनिवार को ये 28 मजदूर करीब 300 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर आजमगढ़ (Azamgarh) पहुंचे.

यहां पुलिस ने उन्हे रोककर खाने-पीने की व्यवस्था की और उनके घरों तक पहुंचाने में जुट गई है. पुलिस की नेक पहल देख मजदूरों की आंखे नम हो गईं. उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि पिछले 4 दिनों से बिना खाये-पीये पैदल चल रहे हैं. अब एक कदम भी उनसे चला नहीं जा रहा है. मदद के लिए मजदूरों ने पुलिस को धन्यवाद दिया.

आजमगढ़ जिले के बेलइसा सब्जी मंडी के पास पहुंचे चल नही पा रहे ये मजदूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के रहने वाले हैं. ये मजदूर पिछले 4 दिनों से बिना कुछ खाये-पीये दिन-रात पैदल चलकर शनिवार दोपहर आजमगढ़ शहर की तरफ बढ़ रहे थे. बेलइसा सब्जी मंडी के समीप तैनात पुलिस के जवानों ने इन्हें रोका, तो हालात पता चले. इसके बाद पुलिस के जवानों ने पुलिस अधीक्षक को सूचना दी. एसपी के निर्देश पर पुलिस जवानों ने मंडी में इनके खाने-पीने की व्यवस्था कराई गई. मंडी में पहुंचे मजदूरों ने बताया कि वे बिहार के समस्तीपुर में कुछ फेरी लगाने का काम करते हैं और कुछ लोग मजदूरी का काम करते थे.

लॉक डाउन होने के बाद जो उनके रूपये बचे थे वे उनसे अपना खर्च चलाये. लेकिन बंदी जब लम्बी हो गई तो वे घर के लिए पैदल ही निकल पड़े. करीब 4 दिनों की यात्रा के बाद वे आजमगढ़ जिले में पहुंचे, जहां पुलिस ने रोका और उनके खाने पीने का इंतजाम किया.पुलिस ने पहले इन्हे मंडी से फलों का वितरण कराया. फिर मंडी में ही कार्यरत एक व्यक्ति के घर से खाने का इंतजाम कराया. पुलिस की नेक और दरियादिली को मजदूरों की आंखे छलक आईं. मजदूरों ने बताया वे बिहार से लेकर आजमगढ़ तक कई जिलों को पार कर यहां पहुंचे लेकिन इस बीच में किसी ने उन्हे नहीं पूछा.

पुलिस अधीक्षक प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह कहना है कि ये पैदल चल रहे थे, इनसे चला नहीं जा रहा था. यह देखकर हमारे एक एसआई ने रोका और हमें सूचना दी. जिसके बाद निर्देश दिया गया कि सभी मजदूरों के खाने-पीने की व्यवस्था कराई जाय. इनके गांव तक भेजने का इंतजाम किया जा रहा है.

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