गोल्ड मेडल हासिल करने में बेटों से ज्यादा बेटियां मार रही हैं बाजी: राष्ट्रपति

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गोल्ड मेडल हासिल करने में बेटों से ज्यादा बेटियां मार रही हैं बाजी: राष्ट्रपति
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: देश के विश्वविद्यालय सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए अपने आस-पास के गांव को गोद लेकर विपरीत परिस्थितियों के कारण पीछे रह गए लोगों के उत्थान के लिए काम करें। विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं भी गांव के बच्चों को शिक्षित करने उनके सामाजिक और आर्थिक बदलाव के लिए अपना योगदान दें।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार को यहां झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गोल्ड मेडल हासिल करने में बेटों से ज्यादा बेटियां बाजी मार रही हैं  और  उच्य शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में परचम लहरा रही हैं। राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान के बाद कहा कि बेटियां हमारे देश के सुनहरे भविष्य की झलक हैं। उन्होंने साइंस एंड टेक्नोलॉजी में लड़कियों के पीछे रहने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस क्षेत्र में बेटियों को प्रतोसहित करने के लिए गति कार्यक्रम चला रही है। देश के विश्वविद्यालय सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए अपने आस-पास के गांव को गोद लेकर विपरीत परिस्थितियों के कारण पीछे रह गए लोगों के उत्थान के लिए काम करें। विश्वविद्यालयों के साथ यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं भी गांव के बच्चों को शिक्षित करने उनके सामाजिक और आर्थिक बदलाव के लिए अपना योगदान दें।
दीक्षांत समारोह में 96 गोल्ड एवं 6 चांसलर्स मेडल दिए गए 
दीक्षांत समारोह में झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के 6 छात्रों को 6 चांसलर्स मेडल दिया गया। इनमें  कमलेश मोहंती (जिओ इंफॉर्मेटिक्स), रिचा पांडेय (वॉटर इंजीनियरिंग मैनेजमेंट), राहुल वर्मा (नैनो टेक्नोलॉजी), सायांती रॉय (एन्वायरनमेंटल साइंस), प्रावत कुमार दास (एजुकेशन), प्रियंका कुमारी, (एजुकेशन) को चांसलर्स मेडल मिले। 96 छात्रों को गोल्ड मेडल,  40 को डॉक्टर डिग्री, 493 को पीजी डिग्री तथा 103 को यूजी डिग्री यूजी डिग्री प्रदान की गई। इसके अलावा पीएचईडी वा अन्य विषयों के सैकड़ों छात्र छात्राओं को मेडल दिया गया। सभी छात्र-छात्राओं ने देसी पगड़ी और गाउन में इस समारोह में भाग लिय। समारोह में 693 छात्रों को मेडल और डिग्री दी गई।
एक मार्च 2020 को 10 वर्ष पूरा कर लेगा
इस विश्ववि़द्यालय की स्थापना एक मार्च 2009 को की गई थी और इसके पहले कुलपति प्रो डीटी खटिंग थे। 24 जुलाई 2009 से ब्रंबे में यह विश्ववि़द्यालय कार्यरत हुआ था और 3 अगस्त से पहला एकेडमिक सेशन शुरू किया गया था। एक मार्च 2020 को यह विश्ववि़द्यालय 10 वर्ष पूरे कर लेगा।

 

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