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फ्लैशबैकः प्रशांत किशोर ने जो कहा वही नीतीश कुमार भी कह रहे थे फिर जेडीयू को दिक्कत क्यों?

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फ्लैशबैकः प्रशांत किशोर ने जो कहा वही नीतीश कुमार भी कह रहे थे फिर जेडीयू को दिक्कत क्यों?

सिटी पोस्ट लाइवः राजनीति भी क्या खूब चीज है कई बार स्थिति और परिस्थिति इतनी दिलचस्प हो जाती है कि पूछिए मत। सियासत सिर्फ क्रिकेट की तरह अनिश्चितताओं का खेल नहीं है बल्कि कई बार यह पूरी तरह फिल्मी भी हो जाती है। तो जिस प्रशांत किशोर को सीएम नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी में नंबर दो की हैसियत दी उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया उस प्रशांत किशोर का ट्वीट नीतीश कुमार को इतना नागवार गुजरता है कि उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। नीतीश कुमार पर आरोप यह है कि वे आज उनलोगों के साथ हैं जिससे उनकी विचारधारा पर सवाल है। आरोप यह भी है कि नीतीश कुमार ने सता के लिए अपनी विचारधारा से समझौता कर लिया।

नीतीश पर लगे आरोपों की बात करते हैं। जेडीयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर जब पहली बार 18 फरवरी को पटना पहुंचे थे तो उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कुर्सी और सीटों के लिए बीजेपी के पिछलग्गू बन गये। उन्हें तय करना होगा कि वे गांधी के साथ खड़े रहना चाहते हैं या गोडसे के साथ। वे लालू के पंद्रह सालों की बात करते हैं अब बिहार पंद्रह साल पीछे नहीं देखना चाहता उन्हें बताना चाहिए कि अपने पंद्रह साल के शासन में उन्होंने क्या किया और आगे वे क्या करना चाहते हैं।

दिलचस्प यह है कि प्रशांत किशोर ने जो कहा तकरीबन वही बात नीतीश कुमार कहा करते थे। यह आरोप यूं ही नहीं है। 22 अगस्त 2015 को एबीपी न्यूज के कार्यक्रम प्रेस काॅन्फ्रेंस में नीतीश कुमार ने कहा था कि बीजेपी में धार्मिक उन्माद पैदा करने की शक्ति है। लोगों को बांटने की शक्ति है। इसी कार्यक्रम में नीतीश ने यह कहा था किसारे लोग हमें भी जानते हैं और लालू जी को भी जानते हैं। हमारी सरकार को आरजेडी कांग्रेस सीपीआई और निर्दलीय का समर्थन है। लोग एकएक बात को समझ रहे हैं। 15 साल के शासन काल के बाद आज बिहार में बदलाव आया। कोई भी 15 साल पीछे का नहीं सोंच रहा है यह बहस मीडिया में है। जाहिर है प्रशांत किशोर ने भी यही बात कही है कि लोग अब पीछे नहीं देखना चाहते आगे क्या होगा वो जानना चाहते है या फिर नीतीश कुमार ने अपने शासनकाल में क्या किया है वो जानना चाहते हैं।

नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर के ट्वीट को लेकर कहा था कि हमारी पार्टी ट्वीटर वाली पार्टी नहीं है। हम इंटैल्क्चुयल वाली पार्टी नहीं हैं जबकि 2015 में इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने कहा था कि हम बिहार के हित में ट्वीट करते हैं। नीतीश ने कहा था कि ट्विटर हमलोगों की मजबूरी है। देश की सरकार ट्वीटर गर्वमेंट हैं। सामने वाला अगर ट्वीट की भाषा जानता है तो हमें भी ट्वीट करना पड़ेगा। हम जो ट्वीट कर रहे हैं वो बिहार के हित में ट्वीट कर रहे हैं। जाहिर है सिर्फ बीजेपी को लेकर नीतीश की राय नहीं बदली है, सिर्फ लालू यादव के शासनकाल को लेकर उनकी राय नहीं बदली है बल्कि ट्वीटर को लेकर भी उनकी राय बदली है और जब इतना सबकुछ बदला है तो जाहिर है नीतीश कुमार बदले-बदले नजर आते हैं और शायद यही वजह है कि प्रशांत किशोर ने जो आरोप नीतीश कुमार पर लगाये उससे जेडीयू खेमे में बेचैनी बढ़ गयी। पीके के वार पर पलटवार तो सामने आया लेकिन बहुत कम। नीतीश कुमार के पुराने बयान उन पर भारी पड़ सकते हैं। चाहे वो बीजेपी को लेकर हो या ट्वीटर को लेकर।

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