पूर्व सांसद आनंद मोहन की तीसरी पुस्तक का हुआ विमोचन : विराट और शलाका पुरुष की ताकत का हुआ जबरदस्त प्रदर्शन

City Post Live - Desk

“विमोचन विशेष” : पूर्व सांसद आनंद मोहन की तीसरी पुस्तक का हुआ विमोचन : विराट और शलाका पुरुष की ताकत का हुआ जबरदस्त प्रदर्शन

सिटी पोस्ट लाइव : जेपी आंदोलन की उपज और बिहार की राजनीति में हमेशा हवा का रुख बदलने का चट्टानी माद्दा रखने वाले पूर्व सांसद आनंद मोहन,जीते जी किवदंती बन चुके हैं। बाहुबली, दबंग और रॉबिनहुड के नाम से विख्यात आनंद मोहन प्रखर समाजवादी धरा के,गरीब और मजलूमों के मसीहा के रूप में जाने जाते रहे हैं। बिहार की राजनीति में जिस समय आनंद मोहन की तूती बोलती थी,उसी समय आनंद मोहन के पर कतरने की गहरी साजिश होती रही थी ।इसमें कोई संदेह नहीं है कि सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में आनंद मोहन की दमदार धमक रही है ।लेकिन काल का पहिया घुमा ।बिहार के गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी.कृषनैया हत्या मामले में आजीवन कारावास के सजायाफ्ता पूर्व सांसद आनंद मोहन अभी बिहार के सहरसा जेल में बन्द हैं ।बिहार सहित देश के कई नेता,राजनीतिक समीक्षक,सामाजिक चिंतक,विभिन्य धराओं के बौद्धिक लोगों सहित आनंद मोहन के परिवार के लोग आनंद मोहन को राजनीतिक महत्वाकांक्षा और विद्वेष की वजह से आनंद मोहन के खिलाफ झूठे साक्ष्य बटोर कर,साजिशतन उन्हें सजा करवाने की बात,सजा की घोषणा के समय से ही कर रहे हैं ।हांलांकि पूर्व सांसद आनंद मोहन ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अंगीकार किया और कोर्ट के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं जताई ।बड़ी बात है कि कोई भी निर्दोष से लेकर अपराधी तक,3 से लेकर 13 महीने के भीतर जेल में टूट कर बिखड़ जाता है ।लेकिन आनंद मोहन अख्खड़, जिद्दी,जुनूनी, सिद्धांतवादी और परिस्थियों के अनुकूल समझौते नहीं करने वाले चट्टान निकले ।इन्होंने शासन और प्रशासन के सामने ना तो कभी गिड़गिड़ाया और ना ही कभी घुटने टेके ।

साढ़े तेरह साल से ज्यादा का समय इन्होंने जेल में गुजार लिए हैं। इस लंबे कालखंड को,जेल के भीतर आनंद मोहन ने जाया नहीं होने दिया बल्कि उसे बेहतरीन तरीके से जिया है ।जेल के भीतर आनंद मोहन एक सधे हुए कवि,मंझे हुए कथाकार और प्रखर साहित्यकार बन चुके हैं ।इन्होंने जेल में रहते हुए तीन पुस्तकें लिख डाली ।इनका एक गद्य “पर्वत पुरुषः दशरथ मांझी” सीबीएसई की उच्च कक्षा में पढ़ाई जाती है ।इनकी दो पुस्तक कैद में आजाद कलम और स्वाधीन अभिव्यक्ति का पहले ही जोरदार तरीके से विमोचन हो चुका है ।इनकी तीसरी नई पुस्तक गाँधी “कैक्टस के फूल”,का बिहार के पटना शहर स्थित बापू सभागार में,15 फरवरी को बेहद भव्य,विराट और ऐतिहासिक तरीके से विमोचन हुआ ।इस के विमोचन के लिए आयोजित “लोकार्पण समारोह” में देशभर के कई मूर्धन्य साहित्यकारों,गीतकारों,वरिष्ठ पत्रकारों,सिने कलाकारों और कुछ निकटतम राजनेताओं का जमावड़ा लगा ।हजारों की तायदाद में बिहार के कोने-कोने और देशभर से आनंद मोहन के समर्थक इस कार्यक्रम में पहुँचे थे ।पुस्तक विमोचन के नाम पर, आनंद मोहन की ताकत का भी खुल्लम-खुल प्रदर्शन हो रहा था ।बापू सभागार का पूरा प्रशाल आनंद मोहन के नाम के जयकारे से गुंजयमान था ।पुस्तक विमोचन के इस खास कार्यक्रम में शामिल सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र जी ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहा कि आनंद मोहन जी से मेरी पहली संक्षिप्त मुलाकात “रेल यात्रा” के दौरान हुई और उनके चुंबकीय व्यक्तित्व,साहित्य के प्रति उनकी अभिरुचि और एक योद्धा राजनेता के रूप में मुझे उन्होंने बेहद आकर्षित किया ।तब मैंने उनकी सजा बाद एक संस्मरण “एक रात का सह यात्री”, राजस्थान की सम्मानित पत्रिका में लिख डाला ।देखते-देखते ही उस अंक की हजारों प्रतियां बिकी ।उन्होंने बिहार को “प्रतिभाओं का कब्रगाह” बताते हुए कहा कि यहाँ आइंस्टीन को टक्कर देने वाले गणितज्ञ विक्षिप्त होकर अस्पताल में एडियाँ रगड़कर मर जाता है और आनंद मोहन जैसी विलक्षण प्रतिभा जेल में सड़ जाता है ।आनंद मोहन जैसे व्यक्ति राज्य और देश की धरोहर हैं ।इनकी ऊर्जा का इस्तेमाल समाज और राजनीति दोनों में होना चाहिए ।

वरिष्ठ पत्रकार और ‘चौथी दुनिया’ के संपादक संतोष भारतीय ने कहा कि जेल ने आनंद मोहन को अंतर्मुखी बनाया और यहाँ एक साहित्यकार के रूप में,नए आनंद मोहन का जन्म हुआ ।आनंद मोहन आने वाले दिनों में एक कलमकार के रूप में याद किए जाएंगे ।जेपी आंदोलन की उपज और जेपी सेनानी,आनंद मोहन बिहार के युवाओं के असली “हीरो” हैं ।सामाजिक हिंसा और सांप्रदायिक टकराव के बीच आज जब गाँधी को गाली देने का दौर है,तो ऐसे मे उन्होंने बड़ी दृढ़ता से नई पीढ़ी के बीच “गांधी” को स्थापित करने का जोखिम उठाया है ।ऐसा वृहत्तर और कालजयी काम,आनंद मोहन सरीखे संघर्षशील व्यक्ति ही कर सकते हैं ।मैं दिल्ली से चलकर उनकी लेखनी को नमन करने आया हूँ । मध्य प्रदेश से आए वीर रस के कवि गजेंद्र ‘सोलंकी’ ने आनंद मोहन को बिहार का भगत सिंह बताया और कहा कि जिस तरह आजादी के सात दशकों बाद शहीद-ए-आजम, भगत सिंह “असेंबली बम कांड” और “सांडर्स वध” में निष्कलंक और दोष मुक्त साबित हुए,वैसे ही आनंद मोहन भी आरोप मुक्त और निर्दोष साबित होंगे ।प्रिंट और ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया’ के वरिष्ठ पत्रकार कुमार संजय सिंह,जो हाल में ही सूर्या संचाचार टीवी चैनल के ग्रुप एडिटर थे,उन्होंने कहा कि दशकों पूर्व उनके संघर्ष के दिनों में,साप्ताहिक ‘रविवार’ के रिपोर्टर के रूप में मैंने उन्हें गरीबों-मजलूमो के लिए लड़ने वाले “रॉबिनहुड” की उपाधि दी थी,जो बाद के दिनों में काफी चर्चित रही ।वाकई आनंद मोहन जैसे व्यक्ति को समाज के बीच रहने की जरूरत थी लेकिन सत्ता लोलुप राजनेताओं को, आनंद मोहन का शौर्य पच नहीं सका ।सिने अभिनेता अगस्त आनंद ने कहा मैं आनंद मोहन को एक “लीजेंड” के रूप में जानता था । एक चिंतनशील लेखक के रूप में उनसे मेरा परिचय आज यहां आने के बाद हुआ ।उनके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी हासिल हुई,तो हमें बेहद दुःख हुआ कि एक महामानव को हथकड़ियों में जकड़ कर रखा गया है ।

समारोह को संबोधित करते हुए फ्रेंड्स ऑफ आनंद के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री चेतन आनंद ने कहा कि लोग भले देश और दुनिया पर राज करें,मेरे पिता लोगों के दिलों पर राज करते हैं ।उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह किया कि हम स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हैं ।मेरे पिता स्वयं जेपी सेनानी और साहित्यकार हैं ।जेल में बिताए अच्छे आचरण के आधार पर,सरकार समय पूर्व उनकी रिहाई का रास्ता प्रशस्त करे ।आनंद मोहन की बेटी सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट सुरभि आनंद ने कहा कि सभी को पता है कि उनके पिता निर्दोष है लेकिन उन्हें फिर भी षड्यंत्र के तहत सजा कराई गई ।यह देश का ऐसा पहला मॉब लिंचिंग का मामला था जिसमें सैंकड़ों लोगों ने मिलकर डीएम की हत्या की और घटना के समय हमारे पिता घटनास्थल पर भी नहीं थे लेकिन उन्हें सजा मिली ।सरकार को अब उदार होना चाहिए ।उनके पिता की जिंदगी, तो सभी ने मिलकर बर्बाद ही कर दी,कम से कम अब शेष जिंदगी उनकी सही तरीके से बीते,इसके लिए उनकी रिहाई को सरकार तय करे ।फेंड्स और आनंद के प्रांतीय अध्यक्ष कुलानंद यादव अकेला ने कहा कि आज सिर्फ एक आनंद मोहन नहीं, बिहार के गरीब-गुरबों की आवाज जेल में कैद है । आनंद मोहन के कनिष्ठ पुत्र अंशुमन मोहन ने कहा कि अभी यह तो झांकी है,पूरी फिल्म बांकि है ।निर्दोष रहते मेरे पिता ने लगभग अपनी पूरी सजा काट ली है ।समय रहते अगर सरकार उन्हें रिहा नहीं करती है,तो निकट भविष्य में हम फिर भी जुटेंगे और पटना को पूरी तरह से जाम कर देंगे ।साहित्यकार बुद्धिनाथ मिश्र,वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय,शिक्षाविद् डॉ वसीम खान,वरिष्ठ पत्रकार कुमार संजय सिंह,सिने अभिनेता अगस्त आनंद ने संयुक्त रूप से पुस्तक गांधी “कैक्टस के फूल” का विमोचन किया ।समारोह की स्वगताध्यक्ष पूर्व सांसद लवली आनंद ने आगत अतिथियों का अभिनंदन किया ।

लोकार्पण समारोह को पूर्वमंत्री अखलाक अहमद,मशहूर उर्दू शायर प्रोफेसर एहसान शाम, डॉक्टर जाकिर हुसैन,नेपाल सद्भावना पार्टी के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष शंभू सुप्रीम,उत्तर प्रदेश प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के युवा अध्यक्ष अमित जानी, झारखंड के पूर्व विधायक गुलशन आजमानी,पूर्व विधायक शंकर सिंह,अच्युतानंद सिंह,अतुल आनंद आदि ने मुख्य रूप से संबोधित किया ।इस समारोह में धन्यवाद ज्ञापन युवाध्यक्ष अमिताभ ‘गुंजन’ और मंच संचालन,फ्रेंड्स ऑफ आनंद के प्रांतीय प्रवक्ता पवन ‘राठौड़’ ने किया ।बीच-बीच में पवन राठौड़ ने आनंद मोहन के महिमामंडन में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी ।

जो आनंद की बात करेगा, वही बिहार पर राज करेगा

पुस्तक विमोचन के नाम पर आनंद मोहन के समर्थकों ने जमकर शक्ति प्रदर्शन भी किये ।10 से 15 हजार की भीड़ लगातार आनंद मोहन के नाम के जयकारे लगा रहे थे ।हर तरफ से आनंद मोहन जिंदाबाद,एक ही संकल्प एक ही नारा,शीध्र रिहा हो आनंद हमारा,एक ही मांग और एक ही लड़ाई,शीघ्र हो आनंद मोहन की रिहाई और जो आनंद की बात करेगा,वही बिहार पर राज करेगा,की आवाजें गूंज रही थीं ।आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद ने भी बड़े तल्ख अंदाज में कहा कि सरकार जल्द उनके पति को रिहा करे,वर्ना आनंद मोहन समर्थक अब चूड़ियां पहनकर बैठने वाले नहीं हैं ।वाकई यह एक दमदार और धमाकेदार कार्यक्रम था,जो आनंद मोहन की बौद्धिक ताकत के साथ-साथ संख्यां बल की ताकत का भी जिंदा इश्तेहार था ।इस कार्यक्रम में श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के वरीय अभिभावक दादा ठाकुर के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह,युवा प्रदेश अध्यक्ष चंदन सिंह,प्रिंस सिंह राजपूत सहित सैकड़ों करणी सैनिक भी मौजूद थे ।यही नहीं शिवहर,सीतामढ़ी,मुजफ्फरपुर, कैमूर, भभुआ, बांका, मुंगेर, बाढ़, पुनपुन, मनेर सहित कई अन्य जगह से आये आनंद मोहन के समर्थकों ने तो उतावले होकर इतना तक कह डाला कि अगर आनंद मोहन की रिहाई में देरी हुई,तो सैंकड़ों आनंद मोहन समर्थक, नीतीश कुमार के आवास के सामने सामूहिक आत्मदाह कर लेंगे ।यानि आनंद मोहन के समर्थक,अब हरहाल में अपने नेता को अपने बीच में देखना चाहते हैं ।जाहिर तौर पर,इस कार्यक्रम की धमक सरकार तक पहुँच चुकी है ।

सरकारी सूत्रों से जो हमें जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक नीतीश कुमार ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए वैधानिक प्रक्रियाओं पर काम करवाना शुरू कर दिया है ।नीतीश कुमार खुद चाहते हैं कि इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में आनंद मोहन के जनाधार को अपने पाले में लेकर,फिर से सत्ता पर काबिज हों ।ऐसे में कयास यह लगाया जा रहा है कि 15 मार्च से पहले, आनंद मोहन की रिहाई की,किसी भी वक्त घोषणा हो जाएगी ।बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के लिए आनंद मोहन तारणहार और संजीवनी साबित होंगे ।आनंद मोहन का राजपूत समाज,सवर्ण समाज सहित सर्वसमाज पर मजबूत पकड़ है ।दिल्ली में बीजेपी की हुई करारी हार से नीतीश कुमार,बिहार में फिर से सरकार बनाने के लिए हर तरह का पाशा फेंकेंगे ।जाहिर तौर पर आनंद मोहन नीतीश कुमार के तरकश का बेहतरीन तीर साबित होंगे ।

पीटीएन मीडिया ग्रुप के मैनेजिंग एडिटर मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट

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