RJD में यादवों से ज्यादा अति-पिछड़ों-दलितों को तरजीह से भूचाल, नए फॉर्मूले से बढ़ी नाराजगी!
सिटी पोस्ट लाइव : मिशन 2020 के लिए आरजेडी (RJD) की नई टीम तैयार है. इस टीम में यादवों से ज्यादा अति पिछड़ों और दलितों को जगह दी गई है. पार्टी ने इसबार अपनी जीत के लिए यादवों और मुसलमानों को टेकेन फॉर ग्रांटेड लिया है और अति पिछड़ों और दलितों अति पिछड़ों और दलितों पर भरोसा जताया है.अभीतक इस नई टीम की घोषणा नहीं हो पाई है, लेकिन पार्टी के भीतर भूचाल आ चूका है.पार्टी के यादव-मुस्लिम कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के बीच हलचल सी मच गई है.
सारे जिलाध्यक्ष इस बात से बहुत परेशान हैं कि इस बार किसकी छुट्टी होने वाली है और कौन सा जिला आरक्षित होने वाला है. जाहिर है, जो जिला आरक्षित हुआ, उस जिलाध्यक्ष का इस बार पत्ता साफ हो जाएगा. इस नई टीम का गठन तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) और आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह ने किया है.जानकारी के मुताबिक, इस नई टीम में लालू के सबसे पुराने रणबांकुरों की इस बार छुट्टी होने वाली है, क्योंकि पार्टी की नई नीतियों में अब आंतरिक संगठन में 45 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. जिसमें 17 प्रतिशत दलित और 28 फीसदी अति पिछड़ों को मौका मिलने वाला है. जबकि 22 ऐसे जिले हैं, जिन्हें पार्टी ने आरक्षित भी कर दिया है.
स्वाभाविक है कि उन जिलों में केवल अति पिछड़ों और दलितों को ही जिलाध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा. वहीं ऐसी जगहों पर लंबे समय से यादव या फिर मुसलमान ही जिलाध्यक्ष बनते रहे हैं.आरजेडी की इस नई टीम में 50 जिलाध्यक्षों को मनोनीत किया गया है, जिनमें 38 जिलों के जिलाध्यक्ष के साथ 9 महानगर और 3 नए क्षेत्रों के जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव को लेकर तेजस्वी यादव ने इस बार जो प्रयोग किए हैं, इसे लेकर पार्टी के भीतर और बाहर बहुत रिएक्शन है. इन जिलाध्यक्षों में सबसे ज्यादा संख्या यादवों और मुसलमान की है. ऐसे में इन सब की नाराजगी को देखते हुए पार्टी आलाकमान और खुद लालू प्रसाद यादव ने एक मास्टर प्लान बनाया है. इसके तहत आरजेडी ना सिर्फ अपने यादव-मुसलमान जिलाध्यक्षों को मना पाएगी, बल्कि जो आगे डैमेज होने वाला है, उसको बहुत हद तक इससे कंट्रोल भी कर लेगी.
लालू के इस मास्टर प्लान के मुताबिक, जिन जिलाध्यक्षों का इस बार लगभग पत्ता साफ होने वाला है उन्हें मनाने के लिए पार्टी उनके कद के मुताबिक प्रदेश स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर का पद देने को तैयार है. इसका मतलब ये है कि जो जिलाध्यक्ष पार्टी के विधायक भी हैं, उन्हें जिलाध्यक्ष से हटाकर राष्ट्रीय कमेटी में शामिल किया जाएगा और बाकी जिलाध्यक्षों को प्रदेश स्तर की कमेटियों में पद दिया जाएगा. जिन जिलों में अति पिछड़ा या दलित जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा, उनके साथ एक यादव या मुसलमान प्रधान महासचिव भी बनाया जाएगा, ताकि यादवों-मुसलमानों की नाराजगी दूर की जा सके.
जिलाध्यक्षों की नई टीम को लेकर आरजेडी के भीतर कोहराम मचा हुआ है. जिन जिलाध्यक्षों का पत्ता साफ होने वाला है वो पार्टी के बड़े नेताओं को लगातार फोन कर रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह बहुत परेशान हैं. बुधवार को दिन भर पटना में तेजस्वी यादव का इंतजार होता रहा.जब वो नहीं आये तो जिलाध्यक्षों के नाम का औपचारिक ऐलान टाल दिया गया.जगदानन्द सिंह को भी इस बात का अहसास है कि नई टीम के ऐलान के बाद पार्टी में बवाल हो सकता है.इसलिए ये बड़ी घोषणा तेजस्वी की मौजूदगी में ही करने के लिए इंतज़ार किया जा रहा है.