CONG के इस गेम से RJD को नुकसान, BJP होगी संकट में, नीतीश का बढ़ेगा दबदबा
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधान सभा चुनाव में अभी 10 महीने बाकी है लेकिन अभी से सीटों की संख्या और मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर महागठबंधन में NDA की तरह ही घमाशान शुरू हो गया है. कांग्रेस ने अधिक से अधिक सीट लेने के लिए दबाव बनाने की रणनीति के तहत मुख्यमंत्री पद के लिए पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार (Meera Kumar) का नाम उछाल दिया है. लेकिन RJD ने साफ़ कर दिया है कि घटक दल चाहें जो भी दावा करें, महागठबंधन के सीएम पद के दावेदार तो तेजस्वी यादव ही होगें.RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि कौन क्या कहता है, क्या सोंचता है, उससे कोई फर्क नहीं पड़नेवाला.RJD ने पहले ही तय कर लिया है कि तेजस्वी यादव के नेत्रित्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा.
जगदानंद सिंह भले ही काग्रेस के दावे से बेपरवाह दिखने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनकी पार्टी से लेकर महागठबंधन के सभी घटक दलों के नेता असमंजस में पड़ गए हैं. मीरा कुमार के नाम का खुलकर कोई विरोध नहीं कर पा रहा है.गौरतलब है कि जीतन राम मांझी तो पहले से ही दलित मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर चुके हैं.राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कांग्रेस पार्टी इस बार वर्ष 2015 के विधान सभा चुनाव से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. बीते चुनाव में महागठबंधन में कांग्रेस को 43 सीटें मिली थीं और 27 पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस बीते लोकसभा चुनाव में आरजेडी के समाने फजीहत झेल चुकी है. तब 11 सीटों पर डील हो जाने के बाद भी उसे नौ से ही संतोष करना पड़ा था. इस कारण वह इस बार पहले से ही दबाव बना रही है ताकि इस बार आरजेडी अपनी मनमानी नहीं कर पाए और कांग्रेस के लिए साथ एक सम्मानजनक समझौता के लिए RJD पर दबाव बने.कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि अगर सम्मानजनक समझौता नहीं हुआ तो कांग्रेस दलित कार्ड खेलते हुए महागठबंधन से अलग कोई और विकल्प तलाश सकती है.
उपचुनाव के दौरान आरजेडी ने बिना अपने सहयोगियों से बात किए पांच विधान सभा सीटों में से चार सीटों से अपने उम्मीदवारों को पार्टी का सिंबल दे दिया था. इससे नाराज प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सभी पांचों सीटों पर लड़ने का ऐलान भी कर दिया था. हालांकि केंद्रीय नेतृत्व के दखल के बाद कांग्रेस समस्तीपुर लोकसभा सीट और किशनगंज विधानसभा सीट लेकर ही मान गई. परिणाम हुआ कि दोनों पार्टियों के बीच दूरी बढ़ गई और कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे का सहयोग नहीं किया. फलस्वरूप कांग्रेस दोनों ही सीटें हार गई थी.
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की ओर से बिहार में 35 से 40 सीटों पर और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी भी 27 सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश की जा चुकी है. हालांकि आरजेडी 150 से अधिक सीटों पर लड़ने का जिस तरह से दावा कर चुकी है ,जाहिर है सीटों की संख्या को लेकर घमाशान मचना है.कम सीटें मिलने से नाराज उपेन्द्र कुशवाहा,जीतन राम मांझी NDA में जगह नहीं मिलने पर कांग्रेस के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश कर सकते हैं.
दरअसल, लालू यादव जेल में हैं, ऐसे में कांग्रेस के साथ साथ सभी घटक दल अधिक से अधिक सीटों के लिए RJD पर दबाव बनाना चाहते हैं.वरिष्ठ कांग्रेस नेता तारिक अनवर का कहना है कि कांग्रेस के पुराने दिन फिर से वापस लौटेंगे. अगर RJD के साथ बात नहीं बनी तो मीरा कुमार के नेत्रित्व में बैकफुट से फ्रंटफुट आकर खेलने की कोशिश कांग्रेस पार्टी कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो एक तरह NDA की जीत आसान हो जायेगी वहीँ BJP नीतीश कुमार के दबाव में पूरी तरह से आ जायेगी क्योंकि माइनस RJD गठबंधन में नीतीश कुमार के लिए नेत्रित्व करने का मौका मिल सकता है.