Google ने डूडल बनाकर राजा राम मोहन राय को किया याद
सिटी पोस्ट लाइव : एक ऐसा दौर था जब महिलाओं को पति के गुजरने के बाद उन्हें भी सती होना पड़ता था. अर्थात पति के गुजरने के बाद उन्हें भी मरना पड़ता था. यह एक ऐसा दंड था जिसे देखकर अच्छे-अच्छे लोगों की रूह कांप जाए. लेकिन उस दौरान इस कुरीति के खिलाफ बोलना तो दूर सोंचना भी पाप माना जाता था. जब किसी की मृत्यु होती तो चिता दो लोगों के लिए सजाया जाता था. पहला मरने वाला और दूसरा उनकी पत्नी का. पत्नी भी पति के साथ ही जिन्दा जलकर उसी चिता में राख हो जाती थी.उस दौरान बाल विवाह हो या सति प्रथा, ये समाजिक प्रथा के अंग थे. लोग, खासकर महिलाएं इन कुरुतियों का शिकार होती थीं, लेकिन इन्हें नियति मानकर इनके खिलाफ बोलना तो दूर सोचना भी पाप माना जाता था. ऐसे में महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज में फैली इन बुराइयों का विरोध किया. गूगल ने आज अपना डूडल राजा राममोहन राय को समर्पित किया है. इस डूडल पर क्लिक करते ही राजा राममोहन राय से जुड़े गूगल के तमाम पेज खुल जाएंगे, जो उनसे जुड़ी विभिन्न तरह की सामग्री से भरे हुए हैं.ब्रह्म समाज के संस्थापक और नव जागरण युग के अग्रदूत राजा राममोहन राय का आज 246वां जन्मदिवस है. उनका जन्म 22 मई, 1772 को हुआ था. 15 वर्ष की आयु तक उन्हें बंगाली, संस्कृत, अरबी तथा फ़ारसी भाषा का ज्ञान हो गया था. किशोरावस्था में उन्होने काफी भ्रमण किया. उन्होने 1803-1814 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए भी काम किया. 17 वर्ष की आयु में ही वे मूर्ति पूजा विरोधी हो गये थे. वे अंग्रेज़ी भाषा और सभ्यता से काफ़ी प्रभावित थे.ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी छोड़कर राममोहन राय ने खुद को राष्ट्र सेवा में लगा दिया. वह भारत में दोहरी लड़ाई लड़ रहे थे, एक तो देश को अंग्रेजों से मुक्त कराने की लड़ाई और दूसरी, समाज में फैलीं कुरुतियों से देश को मुक्त कराने की लड़ाई. उस समय सती प्रथा, बाल विवाह जैसी बुराइयां पूरे चरम पर थीं. उन्होंने देश में फैली इन कुरीतियों को जड़ से ख़त्म करने के लिए अनेक लड़ाइयां लड़ी और जीत हासिल की. जिसका एक उदाहरण है सती प्रथा का खत्म.
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