नीतीश के मंत्री की नीतीश से नेताओं की सेवानिवृत्ति की उम्र तय करने की मांग
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री खुर्शीद आलम (Cabinet Minister Khurshid Alam) ने हमेशा की तरह इसबार भी कुछ ऐसा कारनामा किया है जिसको लेकर राजनीतिक गलियारे में हर तरफ उनके बारे में ही चर्चा हो रही है. मंत्री ने अपने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सरकारी कर्मचारियों की तरह राजनेताओं के सेवा-निवृति की व्यवस्था करने की मांग कर दी है. मंत्री खुर्शीद आलम ने कहा है कि जैसे सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र होती है, वैसे ही नेताओं के मामले में भी होना चाहिए.
हालांकि आलम की इस मांग पर बिहार की सियासत में समर्थन के साथ-साथ विरोध भी होने लगा है. नेताओं के रिटायरमेंट की मांग को उठाने वाले कैबिनेट मंत्री खुर्शीद आलम को लगता है कि युवाओं को राजनीति में आगे लाने के लिए बुजुर्ग नेताओं को राजनीति से रिटायर हो जाना चाहिए क्योंकि बुजुर्ग नेता जनता की उतनी सेवा नहीं कर सकते, जितना कोई युवा कर सकता है. वैसे भी आज की राजनीति में जनता के बीच रहने वाला नेता चाहिए, जो हर सुख दुख में जनता के साथ रहे. इसके लिए नेता का चुस्त दुरुस्त होना भी बहुत जरूरी है. साथ ही आलम ने कहा कि पार्टियों युवाओं के लिए बड़ी-बड़ी बातें करने के बजाए उन्हें जगह भी दें तो अच्छा रहेगा.
लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके मंत्री की इस मांग को लेकर सियासत भी शुरू हो गई. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के अलावा आरजेडी के दिग्गज नेता रघुवंश सिंह ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. मांझी ने कहा कि नेताओं के रिटायरमेंट की उम्र होनी ही चाहिए, तभी राजनीति में नए चेहरे आ सकते हैं. जबकि आज की राजनीति में इसकी सख़्त जरूरत भी है. वहीं आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश सिंह इस मांग से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. उन्होंने कहा कि जब तक शरीर चले जनता की सेवा करते रहना चाहिए और जब शरीर नहीं चलेगा तब तो नेता ख़ुद ही रिटायर हो जाता है.
गौरतलब है कि बिहार की सियासत में इस वक्त जितने भी महत्वपूर्ण लीडर हैं उनकी उम्र लगभग 60 के पार हो चुकी है. इस लिस्ट में लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, सुशील कुमार मोदी, जीतन राम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा आदि लोग शामिल हैं. ज्यादा उम्रवाले नेताओं की दलील है कि वो नौकरी थोड़े ही करते हैं कि उनकी सेवा-निवृति की उम्र तय होगी. वो तो समाज सेवा करते हैं और समाज सेवा के लिए कोई तय उम्र नहीं होती.लेकिन कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने मंत्री की मांग का स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस ने भी अपना नेतृत्व युवा नेताओं के हाथो में सौंप दिया है बाकि नेताओं को भी ऐसा ही करना चाहिए..
बिहार की सियासत में नए उम्र के नेता भी अपनी अलग पहचान बना रहे हैं. लालू यादव और रामविलास पासवान राजनीति से एक तरह से किनारा कर चुके हैं. दोनों के बेटों तेजस्वी यादव और चिराग पासवान के हाथ में पार्टी की कमान है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल नीतीश कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा सरीखे नेता क्या करेगें जिनके पुत्रों की रूचि राजनीति में नहीं है या फिर जो वंशवादी राजनीति में भरोसा नहीं करते.