अपने ही कैबिनेट के सहयोगी सरयू राय से चुनाव हार गए रघुवर दास, जानिए कौन हैं राय
सिटी पोस्ट लाइव : झारखंड विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर जमशेदपुर पूर्व की सीट पर हुआ. जमशेदपुर पूर्व की सीट से मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने कैबिनेट में सहयोगी रहे पूर्व मंत्री सरयू राय से चुनाव हार गए हैं. बीजेपी से बागी हो कर निर्दलीय चुनाव लड़े सरयू राय ने हरा दिया है. जमशेदपुर पूर्व की सीट सबसे हॉट सीट मानी जा रही थी और पूरे चुनाव में सबकी निगाहें इस सीट पर टिकी हुई थीं. जमशेदपुर पूर्व की सीट से सरयू राय के चुनाव लड़ने के ऐलान की वजह से यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया था. हालांकि, रघुवर सरकार में सरयू राय खाद्य और वितरण विभाग के मंत्री थे लेकिन लगातार अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले जाने की वजह से पार्टी ने उन्हें बीजेपी से टिकट देने से इनकार कर दिया. नतीजतन सरयू राय जमशेदपुर पूर्व से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए और उन्होंने रघुवर दास के सियासी करियर पर ग्रहण लगाने का काम किया.
सरयू राय झारखंड बनने के बाद साल 2004, 2009 और 2014 में जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़ते थे. लेकिन इस बार सियासी बदले की वजह से उन्होंने जमशेदपुर पूर्व की मुख्यमंत्री की सीट से उतरकर चुनावी मुकाबले को रोमांचक बना दिया.भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंकने में हमेशा से आगे रहने वाले सरयू राय साल 1962 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और इमरजेंसी लागू होने के बाद पूरी तरह वो बीजेपी में शामिल हो गए. पहली दफा उन्हें बिहार में एमएलसी बनाया गया और झारखंड के निर्माण के बाद बीजेपी की अल्पमत सरकार को चलाने में उनकी भूमिका बाहर से काफी सराहनीय रही.
सरयू राय भले ही बीजेपी में रहकर चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन छात्रजीवन से उनकी दोस्ती नीतीश कुमार से काफी गहरी रही है. कहा जाता है कि पटना यूनिवर्सिटी में छात्र जीवन के दरमियान दोनों की दोस्ती खूब परवान चढ़ी और आपातकाल के दरमियान दोनों ने इंदिरा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने में जोरदार भूमिका निभाई. यही वजह है कि दस साल पहले साल 2009 में जब सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव हारे तो नीतीश कुमार ने उन्हें अपने प्रदेश बिहार से राजनीति करने का न्यौता दे डाला.
सरयू राय को टिकट नहीं देने को विपक्ष ने बनाया मुद्दा लेकिन ये बीजेपी और उनकी अपनी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता थी कि उन्होंने बीजेपी छोड़कर जाना पसंद नहीं किया. लेकिन साल 2019 में टिकट नहीं दिए जाने से नाराज सरयू राय ने महात्मा गांधी की बातों को याद करते हुए कहा कि एक समय आता है जब कानून का उल्लंघन करना फर्ज बन जाता है.
कहा जाता है अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ उनके रवैये से नाराज होकर खुद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया. उन्हें टिकट नहीं दिए जाने पर जेडीयू के नेता नीतीश कुमार ने काफी हैरानी जताई.जमशेदपुर पूर्व से सरयू राय भले ही निर्दलीय चुनाव लड़े लेकिन उनका समर्थन लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम ने भी किया.सरयू राय का भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का रिकार्ड इतना जबर्दस्त है कि उनकी वजह से तीन-तीन मुख्यमंत्रियों को सलाखों के पीछे जाना पड़ा है. इन तीन मुख्यमंत्रियों में लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र चारा घोटाले में और मधु कोड़ा 8000 करोड़ के घोटाले में जेल भेजे जा चुके हैं.
16 जुलाई 1951 में शाहबाद जिले के इटाढ़ी ब्लॉक में जन्मे सरयू राय मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं. इनके पिता किसान हैं वहीं माता गृहणी हैं. सरयू राय ने भौतिक शास्त्र में ग्रेजुएशन किया वहीं स्पैक्ट्रोस्कोपी में मास्टर्स डिग्री हासिल कर साल 1972 में अपनी पढ़ाई को पूरा किया. सरयू राय राजनीति और विज्ञान की गहरी जानकारी रखते हैं और साफ सुथरी छवि की वजह से अपने धुर विरोधियों के बीच भी बेहद सम्मान की नजरों से देखे जाते हैं. यही वजह है कि सरयू राय ने जैसे ही रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्व से नामांकन भरा तो जेएमएम समेत कई दल उनके समर्थन में आ खड़े हुए जबकि उनकी प्रतिबद्धता बाकी के प्रदेश में दूसरे दलों के साथ है.