झारखंड बनने के बाद जमुआ से पहली बार कांग्रेस ने उतारा अपना उम्मीदवार
सिटी पोस्ट लाइव, गिरिडीह: झारखंड गठन से पूर्व प्रदेश की सत्ता में सबसे लंबी पारी खेलने वाली पार्टी कांग्रेस अपने राजनीतिक जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रही है। छोटानागपुर का गिरिडीह जिला कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था लेकिन कालांतर में पूरा कुनबा दो तीन अंकों में सिमटकर रह गया है। इसके लिए पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता इलाके के बड़े अगुआ नेताओं को जिम्मेदार मानते हैं। कार्यकर्ताओं के अनुसार समय रहते इलाके के बड़े नेता दूसरी पंक्ति के युवाओं को आगे बढ़ाने का काम करते तो कांग्रेस की इतनी दयनीय स्थिति नहीं होती। बहरहाल कांग्रेस ने दो सीटों बगोदर और जमुआ पर उम्मीदवार खड़े किए हैं। जमुआ विधानसभा का चुनाव चौथे चरण में 16 दिसम्बर को होना है। इसे लेकर उक्त विधानसभा क्षेत्र में गहमागहमी शुरू हो गई है। अलग झारखंड राज्य बनने के बाद कांग्रेस ने यूपीए गठबंधन के तहत पहली बार जमुआ में उम्मीदवार उतारा है। भाजपा ने अपने उम्मीदवार के रूप में स्थानीय विधायक केदार हाजरा को फिर से मैदान में उतारा है। आकड़ों के अनुसार बगोदर में 1952 से 2014 तक हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कभी नहीं जीती। इसबार भाजपा छोड़कर आए बासुदेव वर्मा को कांग्रेस ने यूपीए गठबंधन का उम्मीदवार बनाया है, लेकिन जानकारों की मानें तो कांग्रेस उम्मीदवार को खुद को चुनावी मुकाबले में शामिल करने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा। वहीं जमुआ विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा के विधायक रहे सुकर रविदास की पुत्री डॉ मंजू कुमारी को टिकट दिया गया है। जमुआ के अब तक के चुनावी आकड़ों के मुताबिक 1967 ओर 1969 में सदानंद प्रसाद और 1980 में तानेश्वर आजाद जीते। दोनों नेता तत्कालीन सरकारों में मंत्री बने लेकिन इसके बाद के चुनावों में कांग्रेस कभी नहीं जीती।
2014 के चुनाव की बात करें तो गिरिडीह जिले की सभी छह सीटों पर कांग्रेस ने उम्मीदवार खड़े किये। इनमें से गाण्डेय को छोड़कर शेष पांच सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा नेता पिता सुकर रविदास की पुत्री डॉ. मंजू कुमारी को टिकट देकर अपने खोये जनाधार की वापस लाने की एक भरसक कोशिश की है। कांग्रेस इसमें सफल होगी इसका खुलासा आगामी 23 दिसम्बर को वोटों की गिनती के बाद होगा। जमुआ विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रभारी सतीश केडिया का दावा है कि जमुआ सीट पर कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला है। उनका कहना है कि विगत पांच वर्षों में डॉ. मंजू कुमारी क्षेत्र के लोगों के बीच सुख दुःख में खड़ी रही हैं। शिक्षित और मिलनसार स्वभाव के कारण सभी वर्गो में डॉ. मंजू की मजबूत पकड़ है। यही कारण है कि कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष हर वर्ग का रूझान देखने को मिल रहा है। इधर, भाजपा के मौजूदा विधायक लगातार दूसरी पारी के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। विधायक केदार हाजरा डबल ईंजन सरकार के शासन में विकास कार्यों को ही इसबार चुनावी मुद्दा बनाया है। अन्य प्रमुख उम्मीदवारों में झाविमो के चंदिका मेहता, आजसू के सत्यनारायण दास, बसपा के रामचन्द्र हाजरा समेत कुल 14 उम्मीदवार भाग्य अजमा रहे हैं।अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट पर जमुआ में कुल मतदाताओं की संख्या 292479 है। इस सीट पर चौथे चरण में 16 दिसम्बर को मतदान होना है।